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Thursday, 10 January 2019

Moral Story Of A Genius Man and His Camels

एक गाँव में एक बुद्धिमान व्यक्ति रहता था।
उसके पास 19 ऊंट थे। एक दिन उसकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु के पश्चात वसीयत पढ़ी गयी। जिसमें लिखा था कि:
मेरे 19 ऊंटों में से आधे मेरे बेटे को, उसका एक चौथाई मेरी बेटी को, और उसका पांचवाँ हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएँ।
सब लोग चक्कर में पड़ गए कि ये बँटवारा कैसे हो ?
19 ऊंटों का आधा अर्थात एक ऊँट काटना पड़ेगा, फिर तो ऊँट ही मर जायेगा। चलो एक को काट दिया तो बचे 18 उनका एक चौथाई साढ़े चार- साढ़े चार फिर??
सब बड़ी उलझन में थे। फिर पड़ोस के गांव से एक व्यक्ति को बुलाया गया  जो
वितिय सलहकार है,
वह  वितिय सलहकार अपने ऊँट पर चढ़ कर आया, समस्या सुनी, थोडा दिमाग लगाया, फिर बोला इन 19 ऊंटों में मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो।

Wednesday, 7 February 2018

Whatsoever Passed That Is Passed In Hindi

आज का प्रेरक प्रसंग

🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹

                 बीत गई सो बीत गई

एक कॉलेज का छात्र था जिसका नाम था रवि। हमेशा वह बहुत चुपचाप सा रहता था। किसी से ज्यादा बात नहीं करता था इसलिए उसका कोई दोस्त भी नहीं था। वह हमेशा कुछ परेशान सा रहता था। पर लोग उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। एक दिन वह क्लास में पढ़ रहा था। उसे गुमसुम बैठे देख कर अध्यापक महोदय उसके पास आये और क्लास के बाद मिलने को कहा।

क्लास खत्म होते ही रवि अध्यापक महोदय के कमरे में पहुंचा। रवि मैं देखता हूँ कि तुम अक्सर बड़े गुमसुम और शांत बैठे रहते हो, ना किसी से बात करते हो और ना ही किसी चीज में रूचि दिखाते हो, इसलिए इसका सीधा असर तुम्हारी पढ़ाई में भी साफ नजर आ रहा है! इसका क्या कारण है ?” अध्यापक महोदय ने पूछा।

रवि बोला, मेरा भूतकाल का जीवन बहुत ही खराब रहा है, मेरी जिन्दगी में कुछ बड़ी ही दुखदायी घटनाएं हुई हैं, मैं उन्ही के बारे में सोच कर परेशान रहता हूँ, और किसी चीज में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता हूँ l अध्यापक महोदय ने ध्यान से रवि की बातें सुनी औरp मन ही मन उसे फिर से सही रास्ते पर लाने का विचार कर के रविवार को घर पे बुलाया। रवि निश्चित समय पर अध्यापक महोदय के घर पहुँच गया।

रवि क्या तुम नीम्बू शरबत पीना पसंद करोगे? अध्यापक ने पुछा। जी।  रवि ने झिझकते हुए कहा। अध्यापक महोदय ने नीम्बू शरबत बनाते वक्त जानबूझ कर नमक अधिक डाल दिया और चीनी की मात्रा  कम ही रखी। शरबत का एक घूँट पीते ही रवि ने अजीब सा मुंह बना लिया। अध्यापक महोदय ने पुछा,  क्या हुआ, तुम्हे ये पसंद नहीं आया क्या?

जी, वो इसमे नमक थोड़ा अधिक पड़ गया है…. रवि अपनी बात कह ही रहा था की अध्यापक महोदय ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा, ओफ़-ओ, कोई बात नहीं मैं इसे फेंक देता हूँ, अब ये किसी काम का नहीं रहा l ऐसा कह कर अध्यापक महोदय गिलास उठा ही रहे थे कि रवि ने उन्हें रोकते हुए कहा, नमक थोड़ा सा अधिक हो गया है तो क्या, हम इसमें थोड़ी और चीनी मिला दें तो ये बिलकुल ठीक हो जाएगा।

बिलकुल ठीक रवि यही तो मैं तुमसे सुनना चाहता था….अब इस स्थिति की तुम अपनी जिन्दगी से तुलना करो, शरबत में नमक का ज्यादा होना जिन्दगी में हमारे साथ हुए बुरे अनुभव की तरह है…. और अब इस बात को समझो, शरबत का स्वाद ठीक करने के लिए हम उसमे में से नमक नहीं निकाल सकते, इसी तरह हम अपने साथ हो चुकी दुखद घटनाओं को भी अपने जीवन से अलग नहीं कर सकते l

पर जिस तरह हम चीनी डाल कर शरबत का स्वाद ठीक कर सकते हैं उसी तरह पुरानी कड़वाहट और दुखों को मिटाने के लिए जिन्दगी में भी अच्छे अनुभवों की मिठास घोलनी पड़ती है। यदि तुम अपने अतीत का ही रोना रोते रहोगे तो ना तुम्हारा वर्तमान सही होगा और ना ही भविष्य उज्जवल हो पाएगा। अध्यापक महोदय ने अपनी बात पूरी की। रवि को अब अपनी गलती का एहसास हो चुका था, उसने मन ही मन एक बार फिर अपने जीवन को सही दिशा देने का प्रण लिया।

🏆➡ शिक्षा -
दोस्तों !! हम भी अक्सर बंद होते हुए दरवाजे की तरफ इतनी देर तक देखते रहते हैं कि हमें खुलते हुए अच्छे दरवाजों की भनक तक नहीं लगती और हमारा जीवन दुखों के सागर में ही डूबा रह जाता है, जरुरी है कि हम अपनी पुरानी गलतियों या फिर तकलीफ़ों को भूलना सीखें और जिंदगी को फिर से नयी दिशा की और मोड़ें ll

🏆📔

Tuesday, 6 February 2018

Power Of Believing Oneself In Hindi

👉 दूध को दुखी करो तो दही बनता है|
👉 दही को सताने से मक्खन बनता है|
👉 मक्खन को सताने से घी बनता है|
👉 दूध से महंगा दही है,दही से महंगा मक्खन है,और मक्खन से महंगा घी है|
👉 किन्तु इन चारों का रंग एक ही है सफेद|
👉 इसका अर्थ है बाऱ- बार दुख और संकट आने पर भी जो इंसान अपना रंग नहीं बदलता,समाज में उसका ही मूल्य बढ़ता है|
👉 दूध उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो खराब हो जाता है....!!
👉 दूध में एक बूंद छाछ डालने से वह दही बन जाता है जो केवल दो और दिन टिकता है....!!_
👉 दही का मंथन करने पर मक्खन बन जाती है, यह और तीन दिन टिकता है....!!
👉 मक्खन को उबालकर घी बनता है, घी कभी खराब नहीं होता....!!_
👉एक ही दिन में बिगड़ने वाले दूध में कभी नहीं बिगड़ने वाला घी छिपा है....!!_
👉इसी तरह आपका मन भी अथाह शक्तियों से भरा है, उसमें कुछ_ _सकारात्मक विचार डालो अपने आपको मथो अर्थात चिंतन करो....अपने जीवन को और तपाओ और तब देखना_
👉 आप कभी हार नहीं मानने वाले सदाबहार व्यक्ति बन जाओगे....!!

Wednesday, 31 January 2018

Real Value Of A Stone In Hindi

आदमी को "पत्थर" की कीमत तब समझ में आती है

जब,
रात को किसी सूनसान रास्ते पर पैदल अकेले गुजरते समय
अचानक,
,
,
,
,
चार , पाँच  कुत्ते भौंकते हुए पीछे लगते हैं
और तब, पत्थर मिलता नहीं तो, हाँथ में पत्थर है की एक्टिंग करते हुए कुत्तों को फेंककर मारने का इशारा कर बोलते हैं....हट्ट....हट्ट....हट्ट....
😝😝😂😂

Wednesday, 24 January 2018

Urgently Required Persons Now a Days

तुरंत आवश्यकता है

(1) एक इलेक्ट्रिशियन: जो ऐसे दो व्यक्तियों के बीच कनेक्शन कर सके जिनकी आपस में बातचीत बन्द है।

(2) एक ऑप्टिशियन: जो लोगों की दृष्टि के साथ दृष्टिकोण में भी सुधार कर सके।

(3) एक चित्रकार: जो हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान की रेखा खींच सके।

(4) एक राज मिस्त्री: जो दो पड़ोसियों के बीच पुल बनाने में सक्षम हो।

(5) एक माली: जो अच्छे विचारों का रोपण करना जानता हो।

(6) एक प्लम्बर: जो टूटे हुए रिश्तों को जोड़ सके।

(7) एक वैज्ञानिक: जो दो व्यक्तियों के बीच ईगो का इलाज खोज सके।

और सबसे महत्वपूर्ण:
(8) एक शिक्षक: जो एक दूसरे के साथ विचारों का सही आदान प्रदान करना सिखा सके।

आज इन सभी की नितान्त आवश्यकता है।

Monday, 8 January 2018

Difference Between Brother And Friend By Hazrat Ali In Hindi

किसी ने हजरत अली से पुछा

दोस्त और भाई में क्या फर्क है

हजरत अली ने फरमाया
“भाई 🌕सोना है

और दोस्त हीरा है

उस आदमी ने कहा

“आप ने भाई को कम कीमत

और दोस्त को ज्यादा कीमती

चीज़ से क्यू तशबीह दी "?
तो

हजरत अली ने फरमाया

“सोने🌕में दरार आ जाये तो उस को पिघला कर बिलकुल पहले जैसा बनाया जा सकता है

जब की हीरे में एक दरार भी आ जाये तो वो
कभी भी पहले जैसा नही बन सकता

ज़मीन के ऊपर मोहबत
से रेहना सीखलो
वर्ना ज़मीन के अंदर
सुकुन से नही रेह पाओगै

अगर तुम्हें खुशियाँ मिलने लगें तो तीन चीज़ मत भूलना

अपने"अल्लाह को",
उसकी"मखलूक को",
अपनी "औकात" को

अल्लाह वो है जो33 टन की व्हेल मछली🐋 को भी रोज़ाना समन्दर में पेट भर खाना खिलाता है ।

सुभान अल्लाह ,तो फिर हम
सिर्फ 2 रोटी🍪 के लिए इतना परेशान क्यों होते है

ऐ अल्लाह ये बात आगे पहुँचने वाले को कभी किसी का मोहताज ना करना!

Wednesday, 1 November 2017

Life and Its Reality / जीवन और इसकी सच्चाई

जीवन और इसकी सच्चाई
1. चालीस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं। (ब्लकि अल्प शिक्षित अधिक कमा लेते हैं)

2. पचास साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते)

3. साठ साल की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं।(चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता है)

4. सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (घुटनों का दर्द और हड्डियों का गलना आपको बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं)

5. अस्सी साल की अवस्था में आपके पास धन का "होना" या "ना होना" एक जैसे ही होते हैं। ( अगर आप खर्च करना भी चाहें, तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है)

6. नब्बे साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है).

जीवन को सामान्य रुप में ही लें, आगे चल कर एक दिन हम सब की यही स्थिति होनी है इसलिए चिंता, टेंशन छोड़ कर मस्त रहें स्वस्थ रहें ।

यही जीवन है और इसकी सच्चाई भी।

Tuesday, 10 October 2017

It Will Not Even Be / यह भी नहीं रहेगा

🌼💠🌼💠🌼💠🌼💠

⭕  यह भी नहीं रहेगा  ⭕
➖➖➖➖➖➖➖

🔷  एक फकीर अरब देश में हज़ के लिए पैदल निकला । रात हो जाने पर एक गाँव में शाकिर नाम के व्यक्ति के दरवाजे पर रुका । शाकिर ने फकीर की खूब सेवा की । दूसरे दिन शाकिर ने बहुत सारे उपहार देकर विदा किया । फकीर ने शाकिर के लिए दुआ की  - "खुदा करे तू दिनों दिन बढ़ता ही रहे ।"

🔷  फकीर की बात सुनकर शाकिर हँस पड़ा और बोला - "अरे, फकीर ! जो है यह भी नहीं रहने वाला ।" फकीर शाकिर की ओर देखता रह गया और वहाँ से चला गया ।

🔷  दो वर्ष बाद फकीर फिर शाकिर के घर गया और देखा कि शाकिर का सारा वैभव समाप्त हो गया है । पता चला कि शाकिर अब बगल के गाँव में एक जमींदार के यहाँ नौकरी करता है । फकीर शाकिर से मिलने गया । शाकिर ने अभाव में भी फकीर का स्वागत किया । झोंपड़ी में फटी चटाई पर बिठाया । खाने के लिए सूखी रोटी दी । दूसरे दिन जाते समय फकीर की आँखों में आँसू थे । फकीर कहने लगा - "हे खुदा ! ये तूने क्या किया ?"

🔷  शाकिर पुन: हँस पड़ा और बोला - "फकीर तू क्यों दु:खी हो रहा है ? महापुरुषों ने कहा है कि खुदा इन्सान को जिस हाल में रखे, इन्सान को उसका धन्यवाद करके खुश रहना चाहिए । समय सदा बदलता रहता है और सुनो ! यह भी नहीं रहने वाला ।"

🔷  फकीर सोचने लगा - "मैं तो केवल भेष से फकीर हूँ । सच्चा फकीर तो तू ही है, शाकिर ।"

🔷  दो वर्ष बाद फकीर फिर यात्रा पर निकला और शाकिर से मिला तो देखकर हैरान रह गया कि शाकिर तो अब जमींदारों का जमींदार बन गया है । मालूम हुआ कि जिस जमींदार के यहाँ शाकिर नौकरी करता था वह सन्तान विहीन था, मरते समय अपनी सारी जायदाद शाकिर को दे गया । फकीर ने शाकिर से कहा - "अच्छा हुआ, वो जमाना गुजर गया । खुदा करे अब तू ऐसा ही बना रहे ।"

🔷  यह सुनकर शाकिर फिर हँस पड़ा और कहने लगा - "फकीर ! अभी भी तेरी नादानी बनी हुई है ।"

🔷  फकीर ने पूछा - "क्या यह भी नहीं रहने वाला ?"

🔷  शाकिर ने उत्तर दिया - "हाँ, या तो यह चला जाएगा या फिर इसको अपना मानने वाला ही चला जाएगा । कुछ भी रहने वाला नहीं  है और अगर शाश्वत कुछ है तो वह है परमात्मा और उस परमात्मा का अंश आत्मा ।" शाकिर की बात को फकीर ने गौर से सुना और चला गया ।

🔷  फकीर करीब डेढ़ साल बाद फिर लौटता है तो देखता है कि शाकिर का महल तो है किन्तू कबूतर उसमें गुटरगूं कर रहे हैं और शाकिर कब्रिस्तान में सो रहा है । बेटियाँ अपने-अपने घर चली गयीं, बूढ़ी पत्नी कोने में पड़ी है ।

🔶  कह रहा है आसमां यह समा कुछ भी नहीं । रो रही हैं शबनमें, नौरंगे जहाँ कुछ भी नहीं । जिनके महलों में हजारों रंग के जलते थे फानूस । झाड़ उनके कब्र पर, बाकी निशां कुछ भी नहीं ।

🔷  फकीर कहता है - "अरे इन्सान ! तू किस बात का अभिमान करता है ? क्यों इतराता है ? यहाँ कुछ भी टिकने वाला नहीं है, दु:ख या सुख कुछ भी सदा नहीं रहता । तू सोचता है पढ़ोसी मुसीबत में है और मैं मौज में हूँ । लेकिन सुन, न मौज रहेगी और न ही मुसीबत । सदा तो उसको जानने वाला ही रहेगा । सच्चे इन्सान हैं वे जो हर हाल में खुश रहते हैं । मिल गया माल तो उस माल में खुश रहते है और हो गये बेहाल तो उस हाल में खुश रहते हैं ।"

🔷  फकीर कहने लगा - "धन्य है, शाकिर ! तेरा सत्संग और धन्य है तुम्हारे सद्गुरु ! मैं तो झूठा फकीर हूँ, असली फकीर तो तेरी जिन्दगी है । अब मैं तेरी कब्र देखना चाहता हूँ, कुछ फूल चढ़ाकर दुआ तो मांग लूं ।"

🔷  फकीर कब्र पर जाता है तो देखता है कि शाकिर ने अपनी कब्र पर लिखवा रखा है - "आखिर यह भी तो नहीं रहेगा ।"

🌼💠🌼💠🌼💠🌼💠

Saturday, 7 October 2017

High Thinking Of A Deaf Man / बूढ़े आदमी की ऊँची समझ

ऊँची समझ....
एक संत के पास बहरा आदमी सत्संग सुनने
आता था। उसे कान तो थे पर वे नाड़ियों से जुड़े
नहीं थे। एकदम बहरा, एक शब्द भी सुन
नहीं सकता था। किसी ने संतश्री से कहाः
"बाबा जी ! वे जो वृद्ध बैठे हैं, वे कथा सुनते-
सुनते हँसते तो हैं पर वे बहरे हैं।"
बहरे मुख्यत- दो बार हँसते हैं – एक
तो कथा सुनते-सुनते जब सभी हँसते हैं तब और
दूसरा, अनुमान करके बात समझते हैं तब अकेले
हँसते हैं।
बाबा जी ने कहा- "जब बहरा है तो कथा सुनने
क्यों आता है ? रोज एकदम समय पर पहुँच
जाता है। चालू कथा से उठकर चला जाय
ऐसा भी नहीं है, घंटों बैठा रहता है।"
बाबाजी सोचने लगे,
"बहरा होगा तो कथा सुनता नहीं होगा और
कथा नहीं सुनता होगा तो रस नहीं आता होगा।
रस नहीं आता होगा तो यहाँ बैठना भी नहीं चाहिए,
उठकर चले जाना चाहिए। यह जाता भी नहीं है !''
बाबाजी ने उस वृद्ध को बुलाया और उसके कान
के पास ऊँची आवाज में कहाः "कथा सुनाई
पड़ती है ?"
उसने कहा- "क्या बोले महाराज ?"
बाबाजी ने आवाज और ऊँची करके पूछाः "मैं
जो कहता हूँ, क्या वह सुनाई पड़ता है ?"
उसने कहा- "क्या बोले महाराज ?"
बाबाजी समझ गये कि यह नितांत बहरा है।
बाबाजी ने सेवक से कागज कलम मँगाया और
लिखकर पूछा।
वृद्ध ने कहा- "मेरे कान पूरी तरह से खराब हैं। मैं
एक भी शब्द नहीं सुन सकता हूँ।"
कागज कलम से प्रश्नोत्तर शुरू हो गया।
"फिर तुम सत्संग में क्यों आते हो ?"
"बाबाजी ! सुन तो नहीं सकता हूँ लेकिन यह
तो समझता हूँ कि ईश्वरप्राप्त महापुरुष जब
बोलते हैं तो पहले परमात्मा में डुबकी मारते हैं।
संसारी आदमी बोलता है तो उसकी वाणी मन व
बुद्धि को छूकर आती है लेकिन ब्रह्मज्ञानी संत
जब बोलते हैं तो उनकी वाणी आत्मा को छूकर
आती हैं। मैं आपकी अमृतवाणी तो नहीं सुन
पाता हूँ पर उसके आंदोलन मेरे शरीर को स्पर्श
करते हैं। दूसरी बात, आपकी अमृतवाणी सुनने के
लिए जो पुण्यात्मा लोग आते हैं उनके बीच बैठने
का पुण्य भी मुझे प्राप्त होता है।"
बाबा जी ने देखा कि ये तो ऊँची समझ के धनी हैं।
उन्होंने कहा- " दो बार हँसना, आपको अधिकार
है किंतु मैं यह जानना चाहता हूँ कि आप रोज
सत्संग में समय पर पहुँच जाते हैं और आगे बैठते
हैं, ऐसा क्यों ?"
"मैं परिवार में सबसे बड़ा हूँ। बड़े जैसा करते हैं
वैसा ही छोटे भी करते हैं। मैं सत्संग में आने
लगा तो मेरा बड़ा लड़का भी इधर आने लगा।
शुरुआत में कभी-कभी मैं बहाना बना के उसे ले
आता था। मैं उसे ले आया तो वह
अपनी पत्नी को यहाँ ले आया,
पत्नी बच्चों को ले आयी – सारा कुटुम्ब सत्संग
में आने लगा, कुटुम्ब को संस्कार मिल गये।"
ब्रह्मचर्चा, आत्मज्ञान का सत्संग ऐसा है
कि यह समझ में नहीं आये तो क्या, सुनाई
नहीं देता हो तो भी इसमें शामिल होने मात्र से
इतना पुण्य होता है कि व्यक्ति के जन्मों-
जन्मों के पाप-ताप मिटने एवं एकाग्रतापूर्वक
सुनकर इसका मनन-निदिध्यासन करे उसके परम
कल्याण में संशय ही क्या !
😆🙏

Wednesday, 4 October 2017

Positive Attitude / सकारात्मक नज़रिया

एक घर के पास काफी दिन से एक बड़ी इमारत का काम चल रहा था।
वहां रोज मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे एक दूसरे की शर्ट पकडकर रेल-रेल का खेल खेलते थे।

रोज कोई बच्चा इंजिन बनता और बाकी बच्चे डिब्बे बनते थे....

इंजिन और डिब्बे वाले बच्चे रोज बदल  जाते,
पर....

केवल चङ्ङी पहना एक छोटा बच्चा हाथ में रखा कपड़ा घुमाते हुए रोज गार्ड बनता था।

एक दिन मैंने देखा कि....

उन बच्चों को खेलते हुए रोज़ देखने वाले एक व्यक्ति ने कौतुहल से गार्ड बनने वाले बच्चे को पास बुलाकर पूछा....

"बच्चे, तुम रोज़ गार्ड बनते हो। तुम्हें कभी इंजिन, कभी डिब्बा बनने की इच्छा नहीं होती?"

इस पर वो बच्चा बोला....
"बाबूजी, मेरे पास पहनने के लिए कोई शर्ट नहीं है। तो मेरे पीछे वाले बच्चे मुझे कैसे पकड़ेंग.... और मेरे पीछे कौन खड़ा रहेगा....?
इसीलिए मैं रोज गार्ड बनकर ही खेल में हिस्सा लेता हूँ।

"ये बोलते समय मुझे उसकी आँखों में पानी दिखाई दिया।

आज वो बच्चा मुझे जीवन का एक बड़ा पाठ पढ़ा गया....

अपना जीवन कभी भी परिपूर्ण नहीं होता। उसमें कोई न कोई कमी जरुर रहेगी....

वो बच्चा माँ-बाप से ग़ुस्सा होकर रोते हुए बैठ सकता था। परन्तु ऐसा न करते हुए उसने परिस्थितियों का समाधान ढूंढा।

हम कितना रोते हैं?
कभी अपने साँवले रंग के लिए, कभी छोटे क़द के लिए,
कभी पड़ौसी की बडी कार,
कभी पड़ोसन के गले का हार,bकभी अपने *कम मार्क्स,
कभी अंग्रेज़ी,
कभी पर्सनालिटी,
कभी नौकरी की मार तो
कभी धंदे में मार....
हमें इससे बाहर आना पड़ता है....
ये जीवन है.... इसे ऐसे ही जीना पड़ता है।
चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी चिंता में आ जाते हैं।
तुलना से बचें और खुश रहें ।
ना किसी से ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़!!
मेरी अपनी हैं मंजिलें, मेरी अपनी दौड़!!

 
"परिस्थितियां कभी समस्या नहीं बनती,
समस्या इस लिए बनती है, क्योंकि हमें उन परिस्थितियों से लड़ना नहीं आता।"

"सदा मुस्कुराते रहिये"
😛😍😆😁✈🏇

Monday, 2 October 2017

Real Value Of Dead Versus Alive In This World / दुनियाँ में मुर्दा बनाम ज़िन्दा की अहमियत

चूहा अगर पत्थर का हो तो सब उसे पूजते हैं
मगर जिन्दा हो तो मारे बिना चैन नहीं लेते हैं..
साँप अगर पत्थर का हो तो सब उसे पूजते हैं
मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त मार देते हैं..
माता  अगर पत्थर की हो तो सब पूजते हैं, माँ कहते हैं
      मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं समझते। 
बस यही समझ नहीं आता कि
ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों और
पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों ??
        जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को कंधा देना पुण्य समझते हैं

काश इस तरह ज़िन्दा इंसान को सहारा देंना पुण्य समझने लगे तो ज़िन्दगी आसान हो जायेगी ??

Friday, 1 September 2017

Who Is Called A Saint By Tarun Sagar Ji Maharaj

साधु किसे कहते है ।

तरुण सागर जी महाराज----

#    जिसके पेरौ मे जूता नही
      सिर पर छाता नही
      बेंक  मे खाता नही
      परिवार से नाता नही
      उसे कहते है  साधु ।

#     जिसके तन पे कपडा नही
       वचन मे लफड़ा नही
       मन मे क्षगडा नही
       उसे कहते है साधु ।

#      जिसका कोई घर नही
        किसी बात का डर नही
        दुनिया का असर नही
        उसे कहते है  साधु ।

#      जिसके पास बीबी नही
        साथ टीवी नही
        अमीरी गरीबी नही
        नाश्ते मे जलेबी नही
        उसे कहते है  साधु ।

#      जो कचचे पानी को छूता नही 
         बिसतर पर सोता नही
         होटेल मे खाता नही
         उसे कहते है साधु ।

#       जिसे नाई की जररूत नही
          जिसे तेली की जररूत नही
          जिसे सुनार  की जररूत नही
          जिसे लुहार  की जररूत नही
          जिसे दर्जी  की जररूत नही
          जिसे व्यापार  की जररूत नही
          जिसे  धोबी की जररूत नही
          फिर भी सबको धोता है
          उसे कहते है  साधु ।

Good Moral Message Worth Reading

मैसेज अच्छा है पड़ना जरूर

छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष। उसमें से आधा = 40 वर्ष तो रात को बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है। बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग, कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा, नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।
अब बचा ही कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें, और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़ जाएँ,  तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?

स्वयं विचार कीजिये- इतना कुछ होते हुए भी,

1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी....

👍मौन होना सब से बेहतर है।

2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी....

👍सफेद रंग सब से बेहतर है।

3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी....

👍उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।

4- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी....

👍बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।

5- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी....

👍अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।

6- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी....

👍सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।

इंसान के अंदर जो समा जायें वो

             " स्वाभिमान "
                    और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो

             " अभिमान "
ये मैसेज पूरा पढ़े, और
   अच्छा लगे तो सबको भेजें 🙏

🔹जब भी बड़ो के साथ बैठो तो   

      परमेश्वर का धन्यवाद करो ,

     क्योंकि कुछ लोग
      इन लम्हों को तरसते हैं ।

🔹जब भी अपने काम पर जाओ
      तो परमेश्वर का धन्यवाद करो

     क्योंकि
     बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।

🔹 परमेश्वर का धन्यवाद कहो

     जब तुम तन्दुरुस्त हो ,

     क्योंकि बीमार किसी भी कीमत पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश रखते हैं ।

🔹 परमेश्वर का धन्यवाद कहो

      की तुम जिन्दा हो ,
      क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो

      जिंदगी की कीमत क्या है।

दोस्तों की ख़ुशी के लिए तो कई मैसेज भेजते हैं । देखते हैं परमेश्वर के धन्यवाद का ये मैसेज कितने लोग शेयर करते हैं !

Wednesday, 30 August 2017

Radha Asking Moral Questions To Shri Krishna

✍ एक बार राधा जी ने कृष्णा से पूछा-
      गुस्सा क्या है.?

✍ बहुत खुबसूरत जवाब मिला-
      किसी की गलती की सजा
      खुद को देना.!

✍ एक बार राधा ने कृष्णा से पूछा-
     दोस्त और प्यार में क्या
     फर्क होता है.?

✍ कृष्णा हंस कर बोले-
       प्यार सोना है..
      और दोस्त हीरा..
      सोना टूट कर दुबारा बन सकता है..
      मगर हीरा नहीं.!

✍ एक बार राधा जी ने कृष्णा से पूछा-
      मैं कहाँ कहाँ हूँ.?

✍ कृष्णा ने कहा-
     तुम मेरे दिल में..
     साँस में..
     जिगर में..
     धड़कन में..
     तन में..
     मन में..
     हर जगह हो.!

✍ फिर राधा जी ने पूछा-
      मैं कहाँ नहीं हूँ.?

✍ तो कृष्णा ने कहा
      मेरी किस्मत में..!

✍ राधा ने श्री कृष्णा से पूछा-
     प्यार का असली मतलब क्या
     होता है.?

✍ श्री कृष्णा ने हंस कर कहा-
      जहाँ मतलब होता है..
      वहां प्यार ही कहाँ होता है..!

✍ एक बार राधा ने कृष्णा से पूछा-
      आपने मुझे प्रेम किया..
      लेकिन शादी रुकमणी से की..
      ऐसा क्यों.?

✍ कृष्णा ने हँसते हुए कहा- राधे !
      शादी में दो लोग चाहिए....
      और हम तो एक हैं....

😀😀😃😃

✍ ये special smile है,
इसे आप उन लोगों को
send kro जिन्हें आप
कभी उदास नहीं देखना चाहते ।
मैंने तो कर दिया ।
अब आपकी मर्जी....🙏😀