Thursday, 19 November 2015

Quotes on Karbala and Imam Husain in Hindi / इमाम हुसैन और कर्बला पर कथन

इमाम हुसैन की कुर्बानी विभिन्न विद्वानों की ज़ुबानी / Quotes About Imam Hussain (A.S.) by Renowned Personalities :

मोहनदास करमचंद गांधी / Mohandas Karamchand Gandhi About Imam Hussain (A.S.)
मोहनदास करमचंद गांधी / Mohandas Karamchand Gandhi About Imam Hussain (A.S.)
मोहनदास करमचंद गांधी / Mohandas Karamchand Gandhi ( Father of the Nation - India ) :
    “I learnt from Hussain (A.S.) how to achieve victory while being oppressed. My faith is that the progress of Islam does not depend on the use of sword by its believers, but the result of the supreme sacrifice of Hussain (A.S.).”   

    "मैंने हुसैन (अ.स.) से सीखा की मज़लूमियत में किस तरह जीत हासिल की जा सकती है। इस्लाम की बढ़ोतरी तलवार पर निर्भर नहीं करती बल्कि हुसैन (अ.स.) के बलिदान का एक नतीजा है जो एक महान संत थे।"


रबिन्द्रनाथ टैगौर / Rabindranath Tagore (Indian Nobel Prize Winner in Literature 1913): 
 "In order to keep alive justice and truth, instead of an army or weapons, success can be achieved by sacrificing lives, exactly what Imam Hussain (A.S.) did in Karbala."
“Imam Hussain is the leader of humanity.”
“Imam Hussain (a.s.) will warm the coldest heart.” "Hussain’s sacrifice indicates spiritual liberation."

    "इन्साफ और सच्चाई को ज़िंदा रखने के लिए, फौजों या हथियारों की ज़रुरत नहीं होती है। कुर्बानियां देकर भी फ़तह (जीत) हासिल की जा सकती है, जैसे की इमाम हुसैन (अ.स.) ने कर्बला में किया।
"इमाम हुसैन (अ.स.) मानवता के नेता हैं"
"इमाम हुसैन ठन्डे दिलों को जोश दिलाते रहेंगे।" "इमाम हुसैन (अ.स.) का बलिदान अध्यात्मिक मुक्ति को इंगित करता है।" 


पंडित जवाहरलाल नेहरु / Pandit Jawaharlal Nehru (1st Prime Minister of India): 
    "Imam Hussain's sacrifice is for all groups and communities, an example of the path of righteousness." 

    "इमाम हुसैन (अ.स.) की क़ुर्बानी तमाम गिरोहों और सारे समाज के लिए है, और यह क़ुर्बानी इंसानियत की भलाई की एक अनमोल मिसाल है।"


डॉ. राजेंद्र प्रसाद / Dr. Rajendra Prasad (1st President of India) : 
    "The sacrifice of Imam Hussain (A.S.) is not limited to one country, or nation, but it is the hereditary state of the brotherhood of all mankind."

    "इमाम हुसैन (अ.स.) की कुर्बानी किसी एक मुल्क या कौम तक सिमित नहीं है, बल्कि यह लोगों में भाईचारे का एक असीमित राज्य है।"


डॉ. राधाकृष्णन / Dr. Radha Krishnan (Ex President of India)  : 
    "Though Imam Hussain (A.S.) gave his life almost 1300 years ago, but his indestructible soul rules the hearts of people even today."

    "अगरचे इमाम हुसैन (अ.स.) ने सदियों पहले अपनी शहादत दी, लेकिन इनकी इनकी पाक रूह आज भी लोगों के दिलों पर राज करती है।"


स्वामी शंकराचार्य / Swami Shankaracharya (Hindu Religious Priest) : 
    "It is Hussain's sacrifice that has kept Islam alive or else in this world there would be no one left to take Islam's name.

    "यह इमाम हुसैन (अ.स.) की कुर्बानियों का नतीजा है कि आज इस्लाम का नाम बाक़ी है नहीं तो आज इस्लाम का नाम लेने वाला पुरी दुनिया में कोई भी नहीं होता"


श्रीमती सरोजिनी नायडू / Sarojini Naidu (Great India Poetess titled  Nightingale of India) : 
    "I congratulate Muslims that from among them, Imam Hussain (A.S.), a great human being was born, who is revered and honored totally by all communities."

    "मैं मुसलमानों को इसलिए मुबारकबाद पेश करना चाहती हूँ की यह उनकी खुशकिस्मती है कि उनके बीच दुनिया की सब से बड़ी हस्ती इमाम हुसैन (अ.स.) पैदा हुए जो संपूर्ण रूप से दुनिया भर के तमाम जाती और समूह के दिलों पर राज किया और करता है।"


एडवर्ड ब्राउन / Edward G. Brown (Professor at the University of Cambridge):
    “a reminder of that blood-stained field of Karbala, where the grandson of the Apostle of God fell, at length, tortured by thirst, and surround by the bodies of his murdered kinsmen, has been at anytime since then, sufficient to evoke, even in the most lukewarm and the heedless, the deepest emotion, the most frantic grief, and an exaltation of spirit before which pain, danger, and death shrink to unconsidered trifles.” (A Literary History of Persia, London, 1919, p.227)

    "कर्बला में खूनी सहरा की याद जहां अल्लाह के रसूल का नवासा प्यास के मारे ज़मीन पर गिरा और जिसके चारों तरफ सगे सम्बन्धियों के लाशें थीं यह इस बात को समझने के लिए काफी है की दुश्मनों की दीवानगी अपने चरम सीमा पर थी, और यह सब से बड़ा ग़म (शोक) है जहाँ भावनाओं और आत्मा पर इस तरह नियंत्रण था की इमाम हुसैन (अ.स.) को किसी भी प्रकार का दर्द, ख़तरा और किसी भी प्रिये की मौत ने उन के क़दम को नहीं डगमगाया।"


डॉ के शेल्ड्रेक / Dr. K. Sheldrake :
    “Of that gallant band, male and female knew that the enemy forces around were implacable, and were not only ready to fight, but to kill. Denied even water for the children, they remained parched under the burning sun and scorching sands, yet not one faltered for a moment. Husain (A.S.) marched with his little company, not to glory, not to power of wealth, but to a supreme sacrifice, and every member bravely faced the greatest odds without flinching.”

    "इस बहादुर और निडर लोगों में सभी औरतें और बच्चे इस बात को अची तरह से जानते और समझते थे की दुश्मन की फौजों ने इनका घेरा किया हुआ है, और दुश्मन सिर्फ लड़ने के लिए नहीं बल्कि इनको क़त्ल करने के लिए तैयार हैं। जलती रेत, तपता सूरज और बच्चों की प्यास ने भी इन्हें एक पल के, ईन में से किसी एक व्यक्ति को भी अपना क़दम डगमगाने नहीं दिया। हुसैन (अ.स.) अपनी एक छोटी टुकड़ी के साथ आगे बढ़े, न किसी शान के लिए, न धन के लिए, न ही किसी अधिकार और सत्ता के लिए, बल्कि वो बढ़े एक बहुत बड़ी क़ुर्बानी देने के लिए जिस में उन्होंने हर क़दम पर सारी मुश्किलों का सामना करते हुए भी अपनी अपनी सत्यता का कारनामा दिखा दिया।"


चार्ल्स डिकेन्स / Charles Dickens (English novelist) :
    “If Husain (A.S.) had fought to quench his worldly desires..then I do not understand why his sister, wife, and children accompanied him. It stands to reason therefore, that he sacrificed purely for Islam.”

    "अगर हुसैन (अ.स.) अपनी संसारिक इच्छाओं के लिए लड़े थे तो मुझे यह समझ नहीं आता की उन्हों ने अपनी बहन, पत्नी और बच्चों को साथ क्यों लिया। इसी कारण मै यह सोचने और कहने पर विवश हूँ के उन्हों ने पूरी तरह से सिर्फ इस्लाम के लिए अपने पुरे परिवार का बलिदान दिया ताकि इस्लाम बच जाए।"


अंटोनी बारा / Antoine Bara (Lebanese writer):
    “No battle in the modern and past history of mankind has earned more sympathy and admiration as well as provided more lessons than the martyrdom of Hussain (A.S.) in the battle of Karbala.” (Hussain in Christian Ideology)

    "मानवता के वर्तमान और अतीत के इतिहास में कोई भी युद्ध ऐसा नहीं है जिसने इतनी मात्रा में सहानूभूती और प्रशंसा हासिल की है और सारी मानवजाती को इतना अधिक उपदेश व उदाहरण दिया है जितनी इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत ने कर्बला के युद्ध से दी है।"


थॉमस कार्लाईल / Thomas Carlyle (Scottish historian and essayist) : 
    “The best lesson which we get from the tragedy of Karbala is that Hussain (A.S.) and his companions were rigid believers in God. They illustrated that the numerical superiority does not count when it comes to the truth and the falsehood. The victory of Hussain (A.S.), despite his minority, marvels me!”

    "कर्बला की दुखद घटना से जो हमें सब से बड़ी सीख मिलती है वो यह है की इमाम हुसैन (अ.स.) और इनके साथियों का अल्लाह पर अटूट विश्वास था और वोह सब मोमिन (अल्लाह से डरने वाले) थे। इमाम हुसैन (अ.स.) ने यह दिखा दिया की सैन्य विशालता ताक़त नहीं बन सकती।"


रेनौल्ड निकोल्सन / Reynold Alleyne Nicholson: 
    “Hussain (A.S.) fell, pierced by an arrow, and his brave followers were cut down beside him to the last man. Muhammadan tradition, which with rare exceptions is uniformly hostile to the Umayyad dynasty, regards Hussain (A.S.) as a martyr and Yazid as his murderer.

    ”हुसैन गिरे, तीरों से छिदे हुए, इनके बहादुर सदस्य आखरी हद तक मारे-काटे जा चुके थे, मुहम्मदी परम्परा अपने अंत पर पहुँच जाती, अगर इस असाधारण शहादत और क़ुर्बानी को पेश न किया जाता। इस घटना ने पूरी बनी उमय्या को हुसैन (अ.स.) के परिवार का दुश्मन, यज़ीद को हत्यारा और इमाम हुसैन (अ.स.) को "शहीद" घोषित कर दिया....

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