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Saturday, 28 November 2015

Expectations Unlimited

     रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया। उसके मुँह में एक थैली थी। जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे।

     दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया। कुत्ते ने थैली मुह मे उठा ली और चला गया। दुकानदार आश्चर्यचकित होके कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है।

    कुत्ता बस स्टाप पर खडा रहा। थोडी देर बाद एक बस आई जिसमें चढ गया। कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी। उस के गले के बेल्ट में पैसे और उसका पता भी था। कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले के बेल्ट मे रख दिया।

     अपना स्टाप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पे चला गया और पूछ हिलाकर कंडक्टर को इशारा कर दिया। बस के रुकते ही उतरकर चल दिया। दुकानदार भी पीछे पीछे चल रहा था। कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरोंसे 2-3 बार खटखटाया।

     अन्दर से उसका मालिक आया और लाठी से उसकी पीटाई कर दी। दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा। मालिक बोला `साले ने मेरी नीन्द खराब कर दी। चाबी साथ लेके नहीं जा सकता था गधा।`
जीवन की भी यही सच्चाई है। लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त नहीं है।
इंसान की ख्वाहिशो की कोई इन्तेहा नहीं 
दो गज ज़मीन चाहिए दो गज कफ़न के बाद

Monday, 16 November 2015

जो दोगे वही लौट कर आएगा....

जैसे को तैसागाँव की दुकान पर ग्वाले की लड़की जा कर कहती है-
"लाला जी माँ ने एक किलो चीनी मंगाई है!"
लाला- ठीक है,
लाला ने चीनी देते हुए पूछा- "घी बनाया आज?
लड़की- "जी लाला जी"
लाला- अच्छा एक किलो ले आना!
लड़की घर जा कर कहती है-
“लाला जी ने घी मंगवाया है”
एक किलो घी तोल कर लाला की दुकान पर पहुंचा दिया गया!

Friday, 13 November 2015

कहानी - बुराईयों के भी अच्छे पहलु होते हैं

    किसी गाँव में एक किसान को बहुत दूर से पीने के लिए पानी भरकर लाना पड़ता था। उसके पास दो बाल्टियाँ थीं। जिन्हें वह एक डंडे के दोनों सिरों पर बांधकर, उनमें तालाब से पानी भरकर लाता था। उन दोनों बाल्टियों में से एक के तले में एक छोटा सा छेद था, जबकि दूसरी बाल्टी बहुत अच्छी हालत में थी।

    तालाब से घर तक के रास्ते में छेद वाली बाल्टी से पानी रिसता रहता था। और घर पहुँचते-पहुँचते उसमें....

Friday, 6 November 2015

नकारात्मक और सकारात्मक सोच का असर

  एक कैदी को फॉसी की सज़ा सुनाई गई तो वहॉ के कुछ वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इस कैदी पर कुछ प्रयोग किया जाय ! तब कैदी को बताया गया कि हम तुम्हें फॉसी देकर नहीं परन्तु ज़हरीले कोबरा सॉप से डसवाकर  मारेगें !

और उसके सामने बड़ा सा ज़हरीला सॉप ले आने के बाद कैदी की ऑखे बंद करके कुर्सी से बॉधा गया और उसको सॉप से नहीं कटवाया बल्कि दो सेफ्टी पिन्स चुभाई गई !
और क्या हुआ कैदी की कुछ सेकेन्ड मे ही मौत हो गई, पोस्टमार्डम के बाद पाया गया कि कैदी के शरीर मे सॉप के जहर के समान ही ज़हर है ।