Wednesday 7 December 2016

Hindi Shayari On Demolition Of Babri Masjid

तूने बख़्शे हैं जो आज़ार कहाँ रक्खूँगा,
ये गिरे गुन्बदो मीनार कहाँ रक्खूँगा ?

मेरा घर है कि किताबों से भरे हैं कमरे,
सोच! इसमे भला हथियार कहाँ रक्खूँगा ?

अपने बच्चों से हर एक ज़ुल्म छुपा लूंगा मगर,
छः दिसंबर! तेरे अख़बार कहाँ रक्खूँगा ?

4 comments:

  1. बाबरी को ना हम कल भूले थे ना कभी भूलेंगे, बाबरी मस्जिद 550 साल से वहां खड़ी थी, लेकिन इस मुल्क के हुक्मरानों ने उसपर हमले करवाए, उसको शहीद करवाया... आप इमारत को मिटा सकते हो 550 साल की तारीख़ को नही, बाबरी मस्जिद हमारे दिलों में जिंदा थी है और रहेगी, इंशा अल्लाह।

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