Sunday, 19 August 2018

Importance Of Bakrid / Eid al-Adha in Hindi Part-4

ईदे-क़ुर्बाँ और क़ुर्बानी का महत्व-4

क़ुरबानी के भौतिक लाभ-
वैसे तो क़ुरबानी की वास्तविक स्प्रिट तक़वा (अल्लाह की नाफ़रमानी से बचते हुए ज़िन्दगी गुज़ारना) है। यानी ये कि जो बन्दा भी क़ुरबानी करे तो क़ुरबानी करते वक़्त वो इस बात का अहद करे कि वो हर काम अल्लाह की मर्ज़ी के मुताबिक़ उसकी रज़ा के लिए ही करेगा। अल्लाह के हुक्म के सामने वो अपनी महबूब से महबूब चीज़ को भी क़ुरबान कर देगा। यहाँ तक कि अपने जज़्बात व एहसासात तक को क़ुरबान कर देगा। अगर ज़हन व दिमाग़ में वो ख़याल न हो तो फिर ज़ाहिर है कि उस क़ुरबानी के भौतिक फ़ायदे जो होंगे वो सब अपनी जगह लेकिन वो हक़ीक़ी रूह हासिल न हो सकेगी। यहाँ पर कुछ लोग ये एतिराज़ करते हैं कि जब क़ुरबानी की स्प्रिट ही ग़ायब है तो क़ुरबानी करना ख़ाह-म-ख़ाह जानवरों का नाहक़ ख़ून बहाना है, इसको बन्द कर देना चाहिए।
इस सिलसिले में अर्ज़ है कि किसी अमल की स्प्रिट निकल जाने का मतलब ये नहीं है कि उस अमल को तर्क ही कर देना चाहिए। स्प्रिट अगर निकल भी गई हो तब भी किसी अमल को दो वजहों से करते  रहना चाहिए। पहली बात ये है कि पता नहीं कब इन आमाल के तने-ख़ाकी में स्प्रिट पैदा हो जाए और आदमी उस अमल को उसी स्प्रिट के साथ करना शुरू कर दे।
दूसरे ये कि कुछ हो या न हो इस अमल के भौतिक फ़ायदे इन्सान और उसके समाज को ज़रूर मिलते रहेंगे। आइए जानते हैं कि क़ुरबानी के भौतिक लाभ क्या हैं:-

हमारे देश में मांस बाक़ायदा एक उद्योग है और बहुत बड़ा निर्यात हमारे देश से होता है। 29 जुलाई को The Economic Times में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि-
India is the world's third-biggest exporter of beef and is projected to hold on to that position over the next decade, according to a report by the Food and Agriculture Organisation (FAO) and the Organisation for Economic Cooperation (OECD).

OECD-FAO Agricultural Outlook 2017-2026 report released here this week, said that India exported 1.56 million tonnes of beef last year and was expected to maintain "its position as the third-largest beef exporter, accounting for 16 per cent of global exports in 2026" by exporting 1.93 tonnes that year.

The total world beef exports in 2016 was 10.95 million tonnes and was expected to increase to 12.43 million tonnes by 2026, according to the FAO.
Read more at:
http://economictimes.indiatimes.com/articleshow/59820316.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst

मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद न केवल मांस का निर्यात बढ़ा है बल्कि नए बूचड़खाने खोलने तथा उनके आधुनिकीकरण के लिए करोड़ों रुपए की सबसिडी दी गई है। यह बात भी दिलचस्प है कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिन्दू हैं।

ईद-उल अज़हा के अवसर पर लाखों जानवरों की जो क़ुर्बानी होती है उससे देश में अरबों और खरबों रुपयों का चमड़े का व्यवसाय तरक़्क़ी करता है।
मन्दिरों और मठों में श्रधा के साथ जो ढोल बजाया जाता है, सेनिकों के वस्त्र एवं देश की रक्षा में काम आने वाले हथियारों के जो कवर और घोड़ों के ज़ीन इत्यादि बनाए जाते हैं वे सब जानवरों की खाल से ही बनते हैं। इनके अतिरिक्त इन्हीं खालों से ऐसी बहुत-सी वस्तुएँ बनाई जाती हैं जिन्हें हम रोज़-मर्रा की ज़िन्दगी में इस्तेमाल करते हैं जैसे:- बेल्ट / बटुआ / पर्स / कंपनी बेग, जेकेट, जूते,  चप्पलें इत्यादि

एक और पहलू से देखिए-
क़ुरबानी के जानवर का गोश्त क़ुर्बानी करनेवाले ख़ुद ही नहीं खा जाते बल्कि उसके तीन हिस्से किये जाते हैं जिसमें से एक हिस्सा उन मिलने-जुलनेवालों को दिया जाता हे जिनके घर किसी वजह से क़ुरबानी नहीं होती और एक हिस्सा ग़रीबों और यतीमों को दिया जाता है जिससे उन्हें भरपूर प्रोटिन एवं ओमेगा-3, फ़ैटी एसिड, आयरन, केल्सियम इत्यादि तत्वों से युक्त आहार मिलता है, विश्व स्तर पर ग़रीब लोगों में कुपोषण का स्तर बहुत गिरा हुआ है, इस त्यौहार की बदोलत करोड़ो ग़रीबों को अच्छा और सेहत के लिए अत्यन्त लाभकारी भोजन मिल जाता है…

इस ईद पर जिन लाखों जानवरों की क़ुर्बानी की जाती है उनको देश के ग़रीब और किसानों से ख़रीदा जाता है, इस प्रकार उन ग़रीबों को अपने जानवरों की तीन से चार गुना क़ीमत मिलती है, जिससे खरबों रुपयों का बाज़ार में flow होता है, यानी दौलत मालदारों की तिजोरियों से निकल कर ग़रीबों की जेबों में चली जाती है।
इसी ईद के अवसर पर हज भी किया जाता जिससे एयर इंडिया और देश की निजी हज कम्पनियों सहित अंतर्राष्ट्रीय उड्डयन उद्योग को अरबों-खरबों रुपियों का transaction होता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि क़ुरबानी का असल मक़सद तो बन्दे के अन्दर क़ुरबानी की स्प्रिट पैदा करना है और इसी को हासिल करने की कोशिश भी की जानी चाहिए, लेकिन क़ुरबानी के भौतिक फ़ायदे भी कुछ कम नहीं हैं, इसलिए हमें चाहिए कि दिल के ख़ुलूस के साथ हमें क़ुरबानी करनी चाहिए।
cont....

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