Tuesday, 29 August 2017

Ek Shahar Aisa Ho Hindi Shayari

एक शहर ऐसा हो

कुछ तुम कहो हमसे
कुछ हम कहे तुमसे

और बातों ही में नज़रों से तुम्हें चूम लें
जाने का फिर कहीं मन ही ना हो
मानो एक पल में सारी दुनिया घूम लें

हो ऐसी दुनिया जहाँ बस दो शक्स हैं
एक वो जिससे मैं मोहब्बत करता हूँ
एक वो जिससे तुम मोहब्बत करती हो

आओ रहे उस दुनिया में दोनों मिलजुल के
जहाँ हो सिर्फ और सिर्फ आबाद मोहब्बत
जहाँ पता हो सबको ही आदाब मोहब्बत

एक ऐसा भी शहर हो
जहाँ नेता का बसर हो
लेकिन कभी ना करे सियासत में कुछ ऐसा
कि मोहब्बत को कीचड़ की एक बिंदु होना पड़े
और मोहब्बत को कभी मुस्लिम या हिन्दू होना पड़े

एक ऐसा शहर हो जहाँ सिर्फ बसता हो बचपन
मन हो तो चले जायें चाहें हो उम्र पचपन
जो बदल जायें दोस्त तो फिर से उन्हें अपना बना लें
इस उम्र में ना सही फिर उसी उम्र में सपना सजा लें

एक शहर ऐसा हो जहाँ सिर्फ ख्वाब बसते हों
जो हो ना सके पूरे वो ख्वाब भी सस्ते हों
एक गाड़ी ले जाये हमें 7 समुन्दर पार चाहें
लेकिन शहर में गाँव की ओर जाते हुए रस्ते हों

फिर हर बार की तरह हम
पत्थर मार के खजूर गिरायें
लेकिन हो एसा कि पेड़ डाट दे हमें
और ना कभी फिर खजूर गिरायें

ना जाने कब होगा ऐसा
शायद तब ही होगा एेसा
जब हों सब अमीर यहाँ
पास ना हो एक भी पैसा

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