एक शहर ऐसा हो
कुछ तुम कहो हमसे
कुछ हम कहे तुमसे
और बातों ही में नज़रों से तुम्हें चूम लें
जाने का फिर कहीं मन ही ना हो
मानो एक पल में सारी दुनिया घूम लें
हो ऐसी दुनिया जहाँ बस दो शक्स हैं
एक वो जिससे मैं मोहब्बत करता हूँ
एक वो जिससे तुम मोहब्बत करती हो
आओ रहे उस दुनिया में दोनों मिलजुल के
जहाँ हो सिर्फ और सिर्फ आबाद मोहब्बत
जहाँ पता हो सबको ही आदाब मोहब्बत
एक ऐसा भी शहर हो
जहाँ नेता का बसर हो
लेकिन कभी ना करे सियासत में कुछ ऐसा
कि मोहब्बत को कीचड़ की एक बिंदु होना पड़े
और मोहब्बत को कभी मुस्लिम या हिन्दू होना पड़े
एक ऐसा शहर हो जहाँ सिर्फ बसता हो बचपन
मन हो तो चले जायें चाहें हो उम्र पचपन
जो बदल जायें दोस्त तो फिर से उन्हें अपना बना लें
इस उम्र में ना सही फिर उसी उम्र में सपना सजा लें
एक शहर ऐसा हो जहाँ सिर्फ ख्वाब बसते हों
जो हो ना सके पूरे वो ख्वाब भी सस्ते हों
एक गाड़ी ले जाये हमें 7 समुन्दर पार चाहें
लेकिन शहर में गाँव की ओर जाते हुए रस्ते हों
फिर हर बार की तरह हम
पत्थर मार के खजूर गिरायें
लेकिन हो एसा कि पेड़ डाट दे हमें
और ना कभी फिर खजूर गिरायें
ना जाने कब होगा ऐसा
शायद तब ही होगा एेसा
जब हों सब अमीर यहाँ
पास ना हो एक भी पैसा
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