Tuesday, 29 August 2017

Beet Jaate Hain Shayari / बीत जाते हैं शायरी

कभी नज़रें मिलने में लम्हे बीत जाते हैं,
कभी नज़रें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं....

किसी ने आँख भी खोली तो सोने की नगरी में,
किसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं....

कभी काली गहरी रात हमें इक पल की लगती है,
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं....

कभी खोला दरवाजा खड़ी थी सामने मंज़िल,
कभी मंज़िल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं....

इक पल मे टूट जाते हैं उमर भर के वो रिश्ते,
जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं....

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