Thursday, 19 November 2015

Baatein Bade Kamaal Ki

कमाल है ना....
आँखें तालाब नहीं, फिर भी, भर आती हैं।
दुश्मनी बीज नही, फिर भी, बोयी जाती है!
होठ कपड़ा नही, फिर भी, सिल जाते हैं!
किस्मत सखी नहीं, फिर भी, रुठ जाती है!
बुद्वि लोहा नही, फिर भी, जंग लग जाती है!
आत्मसम्मान शरीर नहीं, फिर भी, घायल हो जाता है
और,
इन्सान मौसम नहीं, फिर भी, बदल जाता है....

No comments:

Post a Comment