बथुआ / Chenopodium Album
इन दिनों दिनों बाज़ार में खूब बथुए का साग आ रहा है।बथुआ का वैज्ञानिक नाम ( Chenopodium Album ) है, बथुआ संस्कृत भाषा में वास्तुक और क्षारपत्र के नाम से जाना जाता है बथुआ एक ऐसी सब्जी या साग है, जो गुणों की खान होने पर भी बिना किसी विशेष परिश्रम और देखभाल के खेतों में स्वत: ही उग जाता है। एक डेढ़ फुट का यह हराभरा पौधा कितने ही गुणों से भरपूर है। बथुआ के परांठे और रायता तो लोग चटकारे लगाकर खाते हैं बथुआ का शाक पचने में हल्का, रूचि उत्पन्न करने वाला, शुक्र तथा पुरुषत्व को बढ़ने वाला है। यह तीनों दोषों को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों का शमन करता है। विशेषकर प्लीहा का विकार, रक्तपित, बवासीर तथा कृमियों पर अधिक प्रभावकारी है।
Chenopodium Album / बथुआ |
> इसमें क्षार होता है, इसलिए यह पथरी के रोग के लिए बहुत अच्छी औषधि है। इसके लिए इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है।
> यह कृमिनाशक मूत्रशोधक और बुद्धिवर्धक है ।
> किडनी की समस्या हो जोड़ों में दर्द या सूजन हो ; तो इसके बीजों का काढ़ा लिया जा सकता है। इसका साग भी लिया जा सकता है ।
> सूजन है, तो इसके पत्तों का पुल्टिस गर्म करके बाँधा जा सकता है। यह वायुशामक होता है।
> गर्भवती महिलाओं को बथुआ नहीं खाना चाहिए।
> एनीमिया होने पर इसके पत्तों के 25 ग्राम रस में पानी मिलाकर पिलायें।
> अगर लीवर की समस्या है, या शरीर में गांठें हो गई हैं तो, पूरे पौधे को सुखाकर 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पिलायें।
> पेट के कीड़े नष्ट करने हों या रक्त शुद्ध करना हो तो इसके पत्तों के रस के साथ नीम के पत्तों का रस मिलाकर लें। शीतपित्त की परेशानी हो, तब भी इसका रस पीना लाभदायक रहता है।
> सामान्य दुर्बलता बुखार के बाद की अरुचि और कमजोरी में इसका साग खाना हितकारी है।
> धातु दुर्बलता में भी बथुए का साग खाना लाभकारी है।
> बथुआ को साग के तौर पर खाना पसंद न हो तो इसका रायता बनाकर खाएं।
> बथुआ लीवर के विकारों को मिटा कर पाचन शक्ति बढ़ाकर रक्त बढ़ाता है। शरीर की शिथिलता मिटाता है। लिवर के आसपास की जगह सख्त हो, उसके कारण पीलिया हो गया हो तो छह ग्राम बथुआ के बीज सवेरे शाम पानी से देने से लाभ होता है।
> सिर में अगर जुएं हों तो बथुआ को उबालकर इसके पानी से सिर धोएं, जुएं मर जाएंगे और सिर भी साफ हो जाएगा।
> बथुआ को उबाल कर इसके रस में नींबू, नमक और जीरा मिलाकर पीने से पेशाब में जलन और दर्द नहीं होता।
> यह पाचनशक्ति बढ़ाने वाला, भोजन में रुचि बढ़ाने वाला पेट की कब्ज मिटाने वाला और स्वर (गले) को मधुर बनाने वाला है।
> पत्तों के रस में मिश्री मिला कर पिलाने से पेशाब खुल कर आता है।
> इसका साग खाने से बवासीर में लाभ होता है।
> कच्चे बथुआ के एक कप रस में थोड़ा सा नमक मिलाकर प्रतिदिन लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
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