Friday, 6 November 2015

नकारात्मक और सकारात्मक सोच का असर

  एक कैदी को फॉसी की सज़ा सुनाई गई तो वहॉ के कुछ वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इस कैदी पर कुछ प्रयोग किया जाय ! तब कैदी को बताया गया कि हम तुम्हें फॉसी देकर नहीं परन्तु ज़हरीले कोबरा सॉप से डसवाकर  मारेगें !

और उसके सामने बड़ा सा ज़हरीला सॉप ले आने के बाद कैदी की ऑखे बंद करके कुर्सी से बॉधा गया और उसको सॉप से नहीं कटवाया बल्कि दो सेफ्टी पिन्स चुभाई गई !
और क्या हुआ कैदी की कुछ सेकेन्ड मे ही मौत हो गई, पोस्टमार्डम के बाद पाया गया कि कैदी के शरीर मे सॉप के जहर के समान ही ज़हर है ।
अब ये ज़हर कहॉ से आया जिसने उस कैदी की जान ले ली.... वो ज़हर उसके खुद शरीर ने ही सदमे में उत्पन्न किया था । हमारे हर संकल्प से पाजिटीव एवं निगेटीव एनर्जी उत्पन्न होती है और वो हमारे शरीर मे उस अनुसार Hormones उत्पन्न करती है ।

 75% बीमारियों का मूल कारण नकारात्मक सोंच से उत्पन्न ऊर्जा ही है ।
आज इंसान ही अपनी गलत सोंच से भस्मासुर बन खुद का विनाश कर रहा है....
अपनी सोंच सदैव सकारात्मक रखें और खुश रहें!

25 साल की उम्र तक हमें परवाह नहीँ होती कि "लोग क्या सोचेंगे ? "
50 साल की उम्र तक इसी डर में जीते हैं कि "लोग क्या सोचेंगे !"
50 साल के बाद पता चलता है कि-
"हमारे बारे में कोई सोच ही नहीँ रहा था....!"
Life is Beautiful, Enjoy Forever.
Life is Just Like Ice Cream, Enjoy it Before it Melts.

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