आज लोगों के पास भौतिक सुविधाएं बहुत हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके मन में शांति नहीं है। धन-दौलत से संसाधन खरीदे जा सकते हैं, लेकिन शांति नहीं खरीदी जा सकती। केवल मुख से चुप रहने से शांति नहीं मिलती, बल्कि सच्ची सुख-शांति तो तभी है जब व्यक्ति का मन चुप रहे। जब तक हमारा मन शांत नहीं होगा तब तक हमारा जीवन सुखी नहीं हो सकता। मन नियंत्रित होने पर ही शांति मिलेगी। संत कबीर कहते हैं कि यदि मनुष्य का मन एकाग्र न हो तो हाथ में माला फेरने और जीभ से भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता।
जीवन को बदलने के लिए सबसे पहले स्वयं को बदलिए, परिवर्तन कहीं और नहीं खुद से शुरु होता हैं|
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देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है,
बस इतनी सी बात हमको इन्सान बनाती है....
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शुभ प्रभात मित्रों 🌹🙏
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