एक बहुत ही सुंदर महिला थी अपने बेटे को पास के मदरसे मे उर्दू सीखने के लिए भर्ती करवा आयी....
उर्दू पढ़ाने वाला मौलाना उस महिला की सुंदरता के बारे में जानता था,
छुट्टी के समय मौलाना ने उसके बेटे से कहा-
"अपनी अम्मी को मेरा सलाम कहना"
बेटे ने आकर माँ को कह दिया कि मौलाना साहब ने आपको सलाम भेजा है।
महिला ने भी बेटे के हाथों सलाम का उत्तर सलाम भेज कर दे दिया।
ये सिलसिला हफ्ते भर चला....
महिला ने "पति" से परामर्श किया और अगले दिन बेटे से मौलाना को कहलवाया कि शाम को घर पर बुलाया है....
मौलान खुश-
3 दिन से नहाया नहीं था, बासी शेरवानी को इस्तरी करवाया,
इत्र मारा और पहुँच गया सुंदरी के घर।
महिला ने पहले आवभगत की.... चाय नाश्ता करवाया, फिर बेटे की पढ़ाई के बारे मे जानकारी ली।
मौलाना औपचारिक बातें करने के बाद, अपनी असलियत पे आया, कहा-
माशा अल्लाह, आपको खुदा ने बड़ी फुर्सत में तराशा है,
-वो तो है, शुक्रिया....
- मुझे आपसे इश्क़ हो गया है मोहतरमा....
- हाँ वो तो है, पर ये बात यदि मेरे पति ने सुन ली तो बहुत मुश्किल होगी,
वो आते ही होंगे.... आप अभी जाइए, कल शाम को फिर आईयेगा तब बात करेंगे.... मैं आपका इंतज़ार करूंगी....
मौलाना चलने को हुआ ही था कि बाहर से उस महिला के पति की आवाज़ आई -
कौन घर में घुसा है हरामखोर....
मौलाना घबराया.... कहाँ छुप जाऊँ ?
महिला ने उसे फटाफट साड़ी पहना दी ,घूँघट कर दिया और
गेहूँ पीसने वाली पत्थर की चक्की के पास बैठा दिया और कहा-
"आप धीरे धीरे गेहूँ पीसिए.... मैं अभी उनको चाय वगैरह पिला कर बाहर भेजती हूँ,
आप मौका देखकर भाग जाना ।
मौलाना लगे चक्की चलाने और गेहूँ पीसने....
पति ने प्रवेश किया और पूछा कि ये कौन महिला है ?
- पड़ोस मे नए किरायेदार आए हैं उनकी पत्नी है , गेहूँ पीसने आई हैं ।
पति पत्नी बहुत देर तक हंसी मज़ाक और बातें करते रहे ,
1 घंटे बाद पति ने कहा -
मैं जरा नुक्कड़ की दुकान से पान खा कर आता हूँ और बाहर निकल गया। एक घंटे तक गेहूं पीसते पीसते पसीने से तर बतर मौलाना ने
साड़ी उतार के फेंकी और आनन - फानन में वहाँ से सरपट हो लिए।
15 दिन बाद -
महिला के बेटे ने मदरसे में मौलाना से कहा -
"माँ ने आपको सलाम भेजा है"
- हरामखोरों, आटा खत्म हो गया होगा। क्या 20 किलो आटा खा गए,
जो अब फिर से सलाम भेजा है....
😂😂😅😆
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