किसी ने एक संत से पुछा..
"ज़हर क्या होता है"..?
संत जी ने बहुत सुन्दर जबाब दिया..
"हर वो चीज़ जो ज़िन्दगी में आवश्यकता से अधिक होती है वही ज़हर होता है"
(फ़िर चाहे वो ताक़त हो, धन हो, भूख हो, लालच हो, अभिमान हो, आलस हो, महत्वकाँक्षा हो, प्रेम हो या घृणा..
आवश्यकता से अधिक "ज़हर" ही होता है..)
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