Haryanvi Tau |
छोड़कर भाग गया।
अपने गांव से दूर दूसरे गांव में जाकर ताऊ ने एक सेठ के यहाँ नौकरी कर ली। ताऊ के भागने के बाद भी ताई अपना नियम निभाने उस जगह बीस जूते रोज जमीन पर मारती, जहाँ वह ताऊ को खड़ा किया करती थी। ताई द्वारा एक जगह रोज जूते मारने के चलते उस जगह एक गडडा हो गया और उसी गडडे के नीचे एक भूत रहता था। जैसे जैसे गडडा गहरा होता गया, ताई के जूते भूत के सिर में लगने लगे। बेचारा भूत रोज जूते खाकर बड़ा दुखी हुआ सोचता - " ताऊ ने भाग कर अपना पीछा छुड़ा लिया पर मैं कैसे भागूं ? काश मैं मन्त्रों से से बंधा नहीं होता तो अब तक ताऊ की तरह यहाँ से भाग लेता। काश ये तांत्रिक द्वारा गाड़ी हंडिया फूट जाये जिसमे मुझे बांधने के मन्त्र है तो मैं यहाँ से भाग इस ताई से पीछा छुड़ाऊं ?
कुछ वर्षों बाद ताई द्वारा लगातार उसी जगह जूते मारने के चलते गडडा गहरा होता गया और हंडिया थोड़ी बाहर निकल गयी और उसके ऊपर जूते पड़ते ही टूट गयी।
हंडिया फूटते ही भूत आजाद हो गया और उसने भी आव देखा न ताव, उसी दिशा में दौड़ लगा दी जिधर ताऊ गया था। दौड़ते दौड़ते भूत भी उसी गांव में पहुँच गया जहाँ ताऊ बणिये के यहाँ मजदूरी किया करता था। भूत की नजर जब ताऊ पर पड़ी तो वह ताऊ के पास गया और ताऊ से कहने लगा - "तू तो सात आठ महीने जूते खाकर भाग आया और यहाँ मौज कर रहा है। पीछे से तेरी औरत ने जूते मार मारकर मेरी टाट(खोपड़ी) का एक बाल भी नहीं छोड़ा बहुत मुश्किल से बचकर भागकर आया हूँ।"
ताऊ कहने लगा - " भूत भाई, ताई के जूतों से बचा हुआ हूँ। पर यार यहाँ भी कड़ी मेहनत करने के बाद भी सूखी रोटियां ही खाने को मिलती है।
भूत ने कहा " ताऊ तेरे लिए मैं इतना कर सकता हूँ कि मैं सेठ के बेटे के शरीर में घुस जाऊंगा और किसी भी तांत्रिक आदि से नहीं निकलूंगा। जब सेठ पूरा दुखी हो जाये तो तू सेठ से जाकर बहुत सारे धन के बदले मुझे निकलने का सौदा कर लेना, मैं तेरे कहने पर ही निकलूंगा। इस तरह तू धन कमाकर आराम से रहना, परंतु एक बात ध्यान रखना, सेठ के बेटे शरीर से निकलने के बाद मैं जिसके शरीर में घुसूं, तू वहां मत आना, आ गया तो तेरी गर्दन तोड़ डालूँगा।"
और भूत सेठ के बेटे के शरीर में घुस गया । सेठ ने कई जादू टोने वाले, कई तांत्रिक, कई बाबाओं को ओझाओं को बुलाया पर उस भूत को उसके बेटे के शरीर से कोई नहीं निकाल सका। तब ताऊ ने सेठ को कहा कि इस भूत को निकालना तो उसके बाएं हाथ का खेल है, बस थोडा धन देना पड़ेगा। सेठ तो अपने बेटे को बचाने के लिए कितना भी देना खर्चा देने हेतु तैयार था। सेठ ने कहा " ताऊ धन मुंह माँगा ले पर जल्द से जल्द इस भूत को मेरे बेटे के शरीर से निकाल।"
ताऊ सेठ के बेटे के पास गया और भूत को डांटते हुए बोला- " चल निकल बाहर नहीं तो तेरा सिर फोड़ दूंगा ।"
इतना कहते ही भूत निकल गया । सेठ का बेटा ठीक हो गया। सेठ ने ताऊ को बहुत सारा धन दे दिया। उधर ताऊ के इस कारनामे की आसपास के गांवों में चर्चा होने लगी कि " ताऊ बहुत गुणी व्यक्ति है जो काम इतने बड़े बड़े तांत्रिक, ओझे व बाबाजी नहीं कर सके, वो ताऊ ने इतनी सरलता से कर दिया। चारों और ताऊ के इस कारनामे की चर्चा होने लगी।
उधर भूत सेठ के बेटे के शरीर से निकल राजा के कुंवर के शरीर में घुस गया । राजा ने भी कई तांत्रिक, ओझे, बाबाओं को बुलाया, पर कोई उस भूत को नहीं निकाल सका। किसी ने राजा तक ताऊ की बात पहुंचा दी कि -"ये काम तो ताऊ आसानी से कर सकता है।"
राजा ने अपने आदमियों को ताऊ के पास भेजा। अब ताऊ फंस गया एक तरफ भूत की चेतावनी कि गर्दन तौड़ दूंगा और दूसरी तरफ राजा का खौफ। ताऊ ने राजा के लोगों को समझाया कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानता, वो तो सेठ का बेटा तो ऐसे ही तुक्के में ठीक हो गया।
राजा के आदमी बोले - " तो कोई बात नहीं कुंवर के पास भी जाकर तुक्का मार दे।" और राजा के आदमी ताऊ को पकड़ राजमहल ले गए। अब बेचारा ताऊ बुरा फंस गया, भूत के पास जाये तो गर्दन तोड़ दे और ना जाये तो राजा गर्दन काट दे।
ताऊ ने अपना दिमाग लगाया और बोला - " ठीक है पर मेरे कुंवर के पास जाने से पहले महल खाली कर दें कुंवर के अलावा महल में कोई नहीं रहे।"
जब सब लोग महल से निकल गए तो ताऊ ने महल में जाकर अपनी धोती को टांगा, अपनी कमीज व बनियान फाड़कर चीथड़े चीथड़े कर लिए और अपनी जूतियाँ हाथ में ले कुंवर की तरफ बेतहासा भागते हुए कहने लगा - " अरे भूत! भाग, ताई आ गयी है।" और कहते कहते ताऊ जोर से बाहर भागा। ताऊ के पीछे भूत भी कुंवर के शरीर को छोड़कर ताई के डर से भागने लगा । भूत के शरीर से निकलते ही कुंवर ठीक हो गया और लोग फिर से ताऊ की जय जयकार करने लगे।
ऐसे समझदार हैं हमारे हरियाणा के ताऊ....
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