गुड़ कैंडी |
साथियों गुड़ कैंडी का औद्योगिक उत्पादन आज शुरू हो गया है। खुशी की बात यह है कि यह उद्योग किसान के खेत पर और किसान की मल्कियत में लगा है।
किसान का नाम है तरसेम सिंह निवासी जिला होशियारपुर पंजाब। भाई भूपेश सैनी जी जो जापान में रहते थे और बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एडवर्टिजमेंट स्पेशलिस्ट थे, ने एक दिन ख्वाब देखा के गुड़ को ग्लोबल स्केल पर प्रोमोट किया जा सकता है।
बस इसी उधेड़ बुन में भारत आ गए और एक दिन खेती विरासत मिशन के पुरोधा बाबा Umendra Dutt जी से मिले और धीरे उन्हीं की उंगली पकड़ कर किसान तरसेम सिंह जी से मिले।
लगभग 2 साल अनुसंधान करने के बाद एक ड्रिल सेट हुई, भाई Navdeep Khera जी जो चंडीगढ़ में खानदानी बिजनेसमैन हैं और कमल मोटर्स के नाम से एंटरप्राइज चलाते हैं और भूपेश जी के क्लासमेट हैं और कुछ मीटिंग्स के बाद नवदीप जी ने गुड़ कैंडी के लिये बिजनेस प्लान सेटकरने की पेशकश की और आज नतीजा हम सभी के सामने है।
इसीबीच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ शुगरकेन रिसर्च के साथ भी एक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट करके राह के एक तकनीकी रोडे को सीधा कर लिया गया।
Gud Candy |
पिछले साल जब किसान के खेत पर असेम्बली लाइन विकसित करने की बात आई तो बड़ा सवाल यह था कि किसान के खेत पर इन्वेस्टमेंट कौन करेगा, तब भाई Bhupesh Saini जी ने हिम्मत करते हुए कहा के हम करेंगे इन्वेस्टमेंट एसेट बनेगा किसान का और हम बाद में लाभ में से इन्वेस्टमेंट रिकवर कर लेंगे।
मुझे यह काम सच मे लंका तक पुल बनाने जैसा लगता था, मैं चुप ही रहा लेकिन आज जब राडार पर गुड़ कैंडी की पहली तस्वीर रिफ्लेक्ट हुई तो मैं कुछ बातें कहने से खुद को रोक नही पा रहा हूँ।
मुझे याद है लगभग दो दशक पहले जब हम पूज्य गुरुदेव प्रोफ़ेसर Anil Gupta जी को जब किसी कामयाब इन्नोवेटर से मिलते थे तो उसका व्यू लेने से पहले उससे पूछते थे के आपकी पत्नी आपके आविष्कार के बारे में क्या कहती है। क्योंकि आविष्कारक हमेशा अपनी हवा में होता था और वो अपने परिवार के कॉन्ट्रिब्यूशन को नजर अंदाज कर देता था। लेकिन प्रोफेसर अनिल गुप्ता असली कहानी को निकाल कर हमारे सामने खड़ा कर देते थे।
मैं गुड़ कैंडी के एवोल्यूशन प्रोसेस का गवाह हूँ और एक बात अवश्य मेंशन करना चाहता हूँ कि मिसेज भूपेश सैनी के सहयोग के बिना भूपेश भाई इस सपने को कभी साकार नही कर पाते क्योंकि जापान में एक अच्छी खासी जिंदगी को छोड़ कर भूपेश भाई के सपने को साकार करने मे उन्हें सपोर्ट करना सच मे कोई आसान काम नही था।
आज एक बड़ा मुकाम हासिल हो चुका है, आगे की राहों में और रोमांच और सीखने सिखाने वाली बातें मिलेंगी। हमारा गुड़ दुनिया मे झण्डे गाडेगा क्योंकि अब उसे पंख मिल गए हैं।
मोटे हिसाब से 1 रुपये की एक टॉफी और गुड़ बिकेगा 1200 रुपये किलो और किसान को गन्ने का भाव पड़ेगा 12000 रुपये क्विंटल, सरकार गन्ने का इतना भाव कब देगी पता नही।
लेकिन इस सपने को साकार कोई कर सकता है तो वो है सिर्फ़ "खुद गब्बर"
दोस्तों आज में गुडमय आनंद की जय और बाजण दो घेसला।
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सभार- कमल जीत जी की फ़ेसबुक वाल से।।
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सभार- कमल जीत जी की फ़ेसबुक वाल से।।
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