बेटिया मर रही हैं
टीवी पे ऐड आता है सिर्फ एक कैप्सूल 72 घंटो के अंदर अनचाही प्रेगनेंसी से छुटकारा। बिना दिमाग की लडकिया फॉर्म में हर हप्ते नया बॉयफ्रेंड, सेक्स, फिर गोलिया
जिसका न कम्पोजीशन पता होता है न कांसेप्ट बस निगल जाती हैं। इन फेक गोलियों में आर्सेनिकभरा होता है यह 72 घंटो के अंदर सिर्फ बनने वाले भ्रूणको खत्म नही करता बल्कि पूरा का पूरा fertility system ही करप्ट कर देता है। शुरू में तो गोलिया खाकर सती सावित्री बन जाती हैं। लेकिन शादीके बाद पता चलता है ये बाझ बन गयी, अब माँ नही बन सकती। तो सबको पता चल जाता है इनका भूतकाल कैसा रहा है। पर कोई बोलता नही जिन्दगी खुद अभिशाप बन जाती है। पहली चीज प्रेगनेंट नही होना तो सेक्स क्यों और दूसरी चीज आशा, ANM, आगनवाडी, सरकारी स्वास्थ्य केंद्र क्या झक्क मराने के लिए हैं। सरकार हर साल मातृत्व सुरक्षा के नाम पर करोड़ो फुक देती है और आपकी जुल्मी लौंडिया खुद डॉक्टर बन जाती है आज हालत ये हैं 13-14 साल की बच्चिया बैग में i-pill लेकर घूम रही है ये मरेंगी नही तो क्या होगा।
हर साल लाखो बच्चिया बच्चेदानी के
कैंसर से मर जाती हैं। उसका एक मात्र कारण माता पिता की लापरवाही।
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