कैसी आजादी है ये ?
अभी हालिया सर्वे में भारत का नाम भ्रष्टाचार में अव्वल दर्जा पाया है, मन की बात वाले को शर्म से डूब मरना चाहिए ।
यह एक ऐसा देश है जहां सूचना मांगने पर आरटीई एक्टीविस्ट सतीश शेट्टी (पुणे) को गोली मार दी जाती है, वो भी तब जब देश में सूचनाधिकार का कानून है !
एक ऐसा आजाद भारत जहां नरेगा जैसी फ्लैगशिप योजना में गड़बड़ी उजागर करने पर ललित मेहता (झारखंड) को मार डाला जाता है !
एक ऐसा आजाद भारत जहां भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने पर सत्येंद्र दूबे, के मंजूनाथन जैसे ईमानदार अधिकारियों को जान गंवानी पड़ती है !
एक ऐसा आजाद भारत जहाँ फ्रीज में रखे माँस के लिए अख़लाक़ की हत्या कर दी जाती है !
ऐसा आजाद भारत जहाँ कुछ जानवरों को ले जाने पर दो भाइयों को मारकर पेड़ पर लटका दिया जाता है !
ऐसा आजाद भारत जहाँ गौरक्षा के नाम पर गरीब किसानों को मार दिया जाता है !
ऐसा आजाद भारत जो विकसित राष्ट्र बनने और वैज्ञानिक नजरिए का दम्भ भरता है और अंधविश्वास/ पाखंड के खिलाफ लड़ने वाले गोविंद पानेसर, कलीबुर्गी और दाभोलकर को सरेआम मार डाला जाता है !
भाजपा और संघ के कट्टरवाद पर लिखने वाली गौरी लंकेश को गोली मार दी जाती है !
हद है !
कहने को तो आजाद भारत लेकिन यहां एक राज्य से दूसरे राज्य जाने पर आपको पीटा जाता है, घसीटा जाता है ! किताबें कहती हैं कि अंग्रेजों को फूट डालकर राज करना आता था ! हमारी आंखें जब महाराष्ट्र में बाहरी-भीतरी और भाषा के नाम पर भारतीय संप्रभुता को खंड-खंड होते देखती हैं तो कई बार खौफ में पड़ जाती हैं कि कहीं फिर से अंग्रेज तो नहीं आ गए ?
हमें फिर भी गुमान है कि देश आजाद है हम लोकतंत्र कि हवा में सांस ले रहे है.....?
नाथूराम गोड़से vs गांधी से अबतक क्या बदला ?
डिस्को जाने वाली लड़की सरेआम पीट दी जाती है क्योंकि संस्कृति के कुछ ठेकेदारों का अपना संविधान है !
प्रेमियों कि हत्या कर दी जाती है और नफरत करने वालों को सर आँखो पर बिठाया जाता है !
साम्प्रदायिकता का जहर ज्यों का त्यों फन ताने खड़ा है !
धर्म को लेकर लगातार झगड़े हो रहे हैं !
यहाँ राजनेता बलात्कारियों के बचाव में खड़े मिलते हैं।
रिश्वत, भ्रष्टाचार में हमने अपनी सम्पूर्ण सामाजिक सांस्कृतिक, लोककल्याण की भावना वाली विरासतों को स्वार्थो की मजबूरी में भुला दिया है !
देश कि संसद में 40% अपराधी बैठे है संसद से बदतर हालत न्यायलय कि है, जहाँ सालो इंतजार के बाद भी न्याय के नाम पर सिर्फ तारीख मिलती है !
देश के 40 करोड़ लोग रोज 35 रुपए से कम में गुजारा करने को मजबूर है !!
कैसे कह दूँ कि हम आजाद है ? कैसे कह दूँ कि हम एक लोकतांत्रिक देश में जी रहे है ?
इस भयानक मानवीय मूल्यों के गिरते दौर में सम्राट अशोक क्लब के लोगों की जिम्मेदारियां बढ गयी हैं, कब तक बैठे रहोगे घरों में दुबक कर, आओ लड़ो मशाल बनकर, जिंदा हो तो जिंदा होने का सबूत दो। लोगों की निगाहें अब सम्राट अशोक महान के उस लोककल्याणकारी शासन सत्ता के तरफ है जहां भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। अब कुछ आशाए जिंदा इस बात को लेकर हैं कि - देश मे सचमुच का लोकतंत्र कायम करने के लिए सम्राट अशोक क्लब के साथी लड़ाई लड़ रहे हैं वो हमेशा देश के आवाम को ये समझाने कि कोशिश कर रहे हैं कि हमे लड़ना होगा हमे अपने अधिकारो हकों को हासिल करना है किसी भी कीमत पर !
अभी जो तेरा खून न खौला
खून नहीं वो पानी है।
लहू के हर कतरे को देकर
देश की लाज बचानी है ।।
शाक्य बीरु एंटीवायरस
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