सरकार का शिक्षको के प्रति नजरिया
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शिक्षक तुम केवल सरप्लस हो
स्कूल, अवनि, अम्वर तल में !
मोटी तनख्वा, घटती संख्या,
क्यों घूम रहे नभ, जल, थल में।।
हमने तुमको सम्बद्ध किया,
बिन भवनों के स्कूलों में ।
बिन बाबू, बिन चपरासी के,
परिणाम दे रहे, शूलों में ।।
हमने तुमसे पढवाया भी,
पच्चीसों काम कराया भी।
दौडा़या भी, धमकाया भी,
और सर प्लस पर लटकाया भी।।
फिर भी तुम युग निर्माता हो,
भारत के भाग्य विधाता हो ।
तुमने ऐसी सरकार चुनी,
क्या जागरूक! मतदाता हो ??
तुम हमें चुनौती मत देना,
बिन शिक्षक भी पढ़वा देंगे ।
ये कीर्तिमान गढ़ कर के हम,
जग में परचम् लहरा देंगे ।।
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