अखिलेश को वोट ना दू तो क्या करुँ ?
अब आप
ही बता दो मैं इस अँगुली से साईकिल का बटन
क्यो ना दबाऊ ?
बिमारी सताती है,
समाजवादी एंबुलेंस याद आती है....
जब दुश्मन सताये,
डायल 100 बुलाती है....
जब पैसा ना कमा पाये,
समाजवादी पेंशन खिलाये....
जब सर से आशियाना लुटा,
लोहिया आवास मिला....
जब बेटी की पढ़ाई सताये,
कन्या विद्या धन काम आये....
जब ट्रैफिक की भीड़ ससकाये,
लखनऊ मेट्रो आगे बढाये....
जब कर्ज किसान को सताये,
कर्जमाफ अखिलेश कर जाये....
जब साईकिल रुक जाती है,
अखिलेश के चमचमाती रोड याद आ जाती है....
जब निवेशक को यातायात को चिंता बताये,
आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे लेकर आये....
जब लड़की को आवारा सताये,
1090 तुरंत हाथ आगे बढाये....
जब माता- पिता तीर्थ यात्रा को धाये,
वो श्रवण कुमार तीर्थ समागम लाये....
जब पूरा उत्तर प्रदेश अंधेरे मे रोता था,
आज उजाले मे सोता है....
जब गरीब इलाज करा ना पाए,
मुफ्त दवाई, पढाई और इलाज लाए....
आदमी आदमी को रिक्शा से ना खींचे,
ई रिक्शा दे लोहिया का सपना सींचे....
जब पूरा देश प्रदुषण से मरता है,
5 करोड़ पेड़ लगा गिनीज बुक मे नाम दर्ज करता है....
जब मजदूर को देरी से मालिक डाॅटे,
अखिलेश ने उनको साईकिल बाँटे....
क्या क्या लिखूँ ? क्या क्या बोलूँ ?
अखिलेश नहीं भाग्यवान आया है,
उत्तर प्रदेश को बनाने महान आया है....
अब आप ही बता दो,
मैं बेदाग इंसान को वोट क्यो ना दूँ ?
सड़क पर चलने का मन करता है तो,
बीजेपी सरकार के गढ्ढे याद आ जाते हैं....
पढ़ने का मन करता है तो,
कल्याण सिंह का जातीय भेदभाव रुलाता है....
सरकारी काम कराने का दिल करता है तो,
मायावती का भ्रष्टाचार याद आ जाता है....
सोचता हूँ कि कुछ आगे पढू,
राजनाथ की मंहगी शिक्षा याद आ जाती है....
सोचता हूँ कि मुँह बन्द नही कुछ बोल दू तो,
भाजपा सरकार मे थाने की लाठीचार्ज सताता है....
सोचता हूँ कि जमीन का रिश्ता निभाऊ तो,
राजनाथ सिंह के जबरन कब्जा रुलाता है....
सोचता हूँ कि लोगों की सेवा करूँ तो,
जाति धर्म के झगड़े खून खराबे घूम जाते हैं....
सोचता हूँ कि पूराने दिन को भूल जाऊँ तो,
बीजेपी बीएसपी द्वारा दिए जख़्म याद आ जाते हैं....
और
सोचता हूँ आशा की आखरी किरण तो,
"अखिलेश यादव" याद आते हैं....
अब आप बतायें
अखिलेश को वोट ना दू तो क्या करुँ ?
समाजवाद की समाजवादी सरकार लिखूं?
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