Thursday, 8 December 2016

बचपन की सुहानी यादें

बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे
२ की.मी. तक भागते थे....
न जाने कीतने चोटे लगती थी....

वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी....

आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी....

खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है....
वो दुकानो पे नहीं मिलती....

शायद यही जिंदगी की दौड़ है!!😊👍

जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  ड्रीम  था....
जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था!!

जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी....

आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की   जल्दी  रहती  है!!

कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था....

आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है!!

स्कूल  में  जिनके  साथ  ज़गड़ते  थे, आज उनको ही  इंटरनेट पे तलाशते  है!!

ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है
बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है

काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल..

.काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक  बार!!

👘 जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|🌀🌀

✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |❤💚💙💜

👻 जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..👥

👀जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |

🚲सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |🌙🚲

🔦💡On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |

🍏🍎🍉🍑🍈 फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |

🍰🎂🍧🏆🎉🎁

🔆फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |

🎭  सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?

और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡

🎒🎐ये दौलत भी ले लो.. ये शोहरत भी ले लो💕

भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...

मगर मुझ��

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