Thursday, 24 November 2016

Heart Touching Lines On Demonetization In Hindi

कतारें थककर भी खामोश हैं, नज़ारे बोल रहे हैं।
नदी बहकर भी चुप है, मगर किनारे बोल रहे हैं।
ये कैसा जलजला आया है दुनियाँ में इन दिनों।
झोंपडी मेरी खड़ी है और महल उनके  डोल रहे हैं।
परिंदों को तो रोज कहीं से गिरे हुए दाने जुटाने थे।
पर वे क्यों परेशान हैं जिनके घरों में भरे हुए तहखाने थे।

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