अभिमान को "आने" मत दो और
स्वाभिमान को "जाने" मत दो।
अभिमान तुम्हें "उठने" नहीं देगा और स्वाभिमान "गिरने" नहीं देगा।
जिसकी नीति "अच्छी" होगी उसकी हमेशा "उन्नति" होगी।
मैं श्रेष्ठ हूँ यह आत्मविश्वास है
लेकिन
सिर्फ "मैं ही श्रेष्ठ हूँ" यह "अहंकार" है।
शुप्रभात
स्वाभिमान को "जाने" मत दो।
अभिमान तुम्हें "उठने" नहीं देगा और स्वाभिमान "गिरने" नहीं देगा।
जिसकी नीति "अच्छी" होगी उसकी हमेशा "उन्नति" होगी।
मैं श्रेष्ठ हूँ यह आत्मविश्वास है
लेकिन
सिर्फ "मैं ही श्रेष्ठ हूँ" यह "अहंकार" है।
शुप्रभात
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