Friday, 10 June 2016

Poem Explaining The Sweetness Of The Relationship Of Mother And Daughter

मायके से लौटी बेटियों से मेरा यह सवाल-

मेरी मां बडी भोली है, क्या सबकी मां ऐैसी होती है....?

पिहर आई बेटी को देख मां अपनी आंख भिगोती है,
खुशी के मारे सारे अरमान संजो लेती है....।

चार दिन की महेमान ही सही पर, बेटी दिल की सुनती है ।
मां को भरोसा बेटी पर , दिल का बोज बेटीयां ढो लेती है....।

मेरी मां बडी भोली है, क्या सबकी मां ऐैसी होती है....?

बेटी जब तक मायके में, रसोई में उसकी पंसद ही चलती है,
भाभीओं को भी बेटी की सेवा में जूटा लेती है....।

ससुराल में थक कर आई होगी, कुछ भी वो करने नही देती है,
अपने तन को दुःख देकर, सारा घर सर पर उठा लेती है....।

मेरी मां बडी भोली है, क्या सबकी मां ऐैसी होती है....?

भाईयों का ढेर सारा प्यार बहन पे लूटता देख,
मां चैन की सांस भर लेती है,

पापा की लाडली को हँसते देख
मां भी मुस्करा लेती है....।

पोते-पोती को फुसलाकर दोईते को खिलौने दिलाती है,
कुछ दिन के महेमान अपने, कहकर सारा प्यार लूटा देती है....।

मेरी मां बडी भोली है, क्या सबकी मां एैसी होती है....?

विदाई की घडी जो आए बेटी का,
उदास मन को कर लेती है ।

पापा ने शगुन में दिए २१००
मां चुपके से ११०० और थमा देती है....।

मेरी मां बडी भोली है, क्या सबकी मां एैसी होती है....?

सुखी सब्जी लेजा बेटी, आचार और छुंदा भी बनाया,
बेटी का हर खयाल वो रखती है....।

किसी चीज की कमी न पड़े बेटी को,
चाहे खुद सब सह जाती है ।

मेरी मां बडी भोली है, क्या सबकी मां एैसी होती है....?

मन को मेरे पिघलाते है जब आंसु उसके बहते है,
पलके मेरी भीगी देख, चूप रहने का ढोंग भी कर लेती है....।

कहते है पापा की परी है बेटी, पर हर मां यह कहती है,
चाहे कोई कुछ भी कहे, बेटी मां का आईना होती है....

बेटी मां का आईना होती है,
ईस आईना में वो अपने आाप को ढुंढ लेती है....।

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