एक कुम्हार माटी से चिलम बनाने जा रहा था.... उसने चिलम का आकार दिया.... थोड़ी देर में उसने चिलम को बिगाड़ दिया....
माटी ने पूछा - अरे कुम्हार, तुमने चिलम अच्छी बनाई फिर बिगाड़
क्यों दिया ????
कुम्हार ने कहा कि - अरी माटी, पहले मैं चिलम बनाने की सोच रहा था, किन्तु मेरी मति (दिमाग) बदली और अब मैं सुराही बनाऊंगा....
ये सुनकर माटी बोली - रे कुम्हार.... मुझे खुशी है, तेरी तो सिर्फ मति ही बदली, मेरी तो जिंदगी ही बदल गयी....😇
चिलम बनती तो स्वयं भी जलती और दूसरों को भी जलाती, अब सुराही बनूँगी तो स्वयं भी शीतल रहूंगी और दूसरों को भी शीतल रखूंगी....😌
यदि जीवन में हम सभी सही फैसला लें तो हम स्वयं भी खुश रहेंगे एवं दूसरों को भी खुशियाँ दे सकेंगे....😊😌
✍ वक्त की एक आदत बहुत
अच्छी है,
जैसा भी हो, गुजर जाता है!
"कामयाब इंसान खुश
रहे ना रहे,
खुश रहने वाला इंसान कामयाब
जरूर हो जाता है!
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