एक दादा और एक दादी ने अपनी जवानी के दिनों को ताज़ा और relive करने की सोची।
उन्होनें प्लान किया कि वो एक बार शादी से पहले के दिनों की तरह छुप कर नदी किनारे मिलेंगे।
दादा तैयार शैयार होकर, बांके स्टाइल वाला बाल संवार कर, लंबी टहनी वाला खूबसूरत लाल गुलाब हाथ में लेकर नदी किनारे की पुरानी जगह पहूंच गये। उनका उत्सुक इंतज़ार शुरू हो गया। ताज़ी ठंढी हवा बहुत रोमैंटिक लग रही थी।
एक घंटा गुजरा, दूसरा भी, यहां तक कि तीसरा भी। पर दादी दूर दूर तक नहीं दिखी।
दादा अपना सेलफोन भी नहीं ले गये थे क्यों कि उनके तब के वक्त में तो PCO भी नहीं होते थे। नदी किनारे तो नहीं ही।
दादा को फ़िक्र नहीं हुई, बहुत गुस्सा आया।
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झल्लाते हुए घर पहुंचे
तो देखा
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दादी
कुर्सी पर बैठी मुस्करा रही थी।
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दादा, लाल पीले होते हुए
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"तुम आयीं क्यों
नहीं ?"
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दादी, शरमाते हुए।
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"मम्मी ने आने नहीं दिया"
दादा को फ़िक्र नहीं हुई, बहुत गुस्सा आया।
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झल्लाते हुए घर पहुंचे
तो देखा
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दादी
कुर्सी पर बैठी मुस्करा रही थी।
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दादा, लाल पीले होते हुए
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"तुम आयीं क्यों
नहीं ?"
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दादी, शरमाते हुए।
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"मम्मी ने आने नहीं दिया"
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