Wheatgrass / गेहूँ का ज्वारा |
गेहूँ घास के सेवन से कोष्ठबद्धता, एसिडिटी, गठिया, भगंदर, मधुमेह, बवासीर, खासी, दमा, नेत्ररोग, म्यूकस, उच्चरक्तचाप, वायु विकार इत्यादि में भी अप्रत्याशित लाभ होता है। इसके रस के सेवन से अपार शारीरिक शक्ति कि वृद्धि होती है तथा मूत्राशय कि पथरी के लिए तो यह रामबाण है। गेहूँ के ज्वारे से रस निकालते समय यह ध्यान रहे कि पत्तियों में से जड़ वाला सफेद हिस्सा काट कर फेंक दें। केवल हरे हिस्से का ही रस सेवन कर लेना ही विशेष लाभकारी होता है। रस निकालने के पहले ज्वारे को धो भी लेना चाहिए। यह ध्यान रहे कि जिस ज्वारे से रस निकाला जाय उसकी ऊंचाई अधिकतम पांच से छः इंच ही हो।
आप 15 छोटे छोटे गमले लेकर प्रतिदिन एक-एक गमलो में भरी गयी मिटटी में 50 ग्राम गेहू क्रमशः गेहू छिटक दें, जिस दिन आप 15 वें गमले में गेहू डालें उस दिन पहले दिन वाला गेहू का ज्वारा रस निकलने लायक हो जायेगा। यह ध्यान रहे कि जवारे की जड़ वाला हिस्सा काटकर फेक देंगे पहले दिन वाले गमले से जो गेहू उखाड़ा उसी दिन उसमे दूसरा पुनः गेहू बो देंगे। यह क्रिया हर गमले के साथ होगी ताकि आपको नियमित ज्वारा मिलता रहे।
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