Saturday, 28 November 2015

Makhana ( Phool Makhana / Lotus seeds ) / मखाना खाने के स्वास्थ्यवर्धक लाभ

मखाना खाओ सेहत बनाओ  -

Makhana मखाना
Makhana मखाना
      "मखाना" संस्कृत के दो शब्द मख व अन्न से बना है। मख का मतलब यज्ञ होता है। अर्थात यज्ञ में प्रयुक्त होने वाला अन्न। जीवन काल से लेकर मृत्यु के बाद भी मखाना मिथिलांचल वासियों से जुड़ा रहता है। मखाने की खेती पूरे मिथिलांचल में होती है। दरभंगा में उत्पन्न होने वाला मखाना उत्तम कोटि का माना जाता है। मखाने कमल के बीजों की लाही है। मखाना को देवताओं का भोजन कहा गया। पूजा एवं हवन में भी यह काम आता है। इसे आर्गेनिक हर्बल भी कहते हैं। क्योंकि यह बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशी के उपयोग के उगाया जाता है। आचार्य भावमिश्र (1500-1600) द्वारा रचित भाव प्रकाश निघंटु में इसे पद्मबीजाभ एवं पानीय फल कहा गया है। इसके अनुसार मखाना बल, वाजीकर एवं ग्राही है।

  • इसे प्रसव पूर्व एवं पश्चात आई कमज़ोरी दूर करने के लिए दूध में पकाकर खिलाते हैं ।
  • यह सुपाच्य है तथा आहार के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। बच्चों को इसे घी या तेल से बघार कर चिवड़े की तरह नमकीन बना कर दे । वे इसे बहुत पसंद करते है। इसे खीर में भी मिला कर दे सकते है। इसे पंजीरी में , लड्डू में भी मिलाया जा सकता है।
  • इसके औषधीय गुणों के चलते अमरीकन हर्बल फूड प्रोडक्ट एसोसिएशन द्वारा इसे क्लास वन फूड का दर्जा दिया गया है। यह जीर्ण अतिसार, ल्यूकोरिया, शुक्राणुओं की कमी आदि में उपयोगी है।
  • यह एन्टीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। इसलिए श्वसनतंत्र, मूत्राशय एवं जननतंत्र से संबंधित बीमारियों में यह लाभप्रद होता है।
  • मखाना का नियमित सेवन करने से ब्लड प्रेशर, कमर और घुटने के दर्द को नियंत्रित रहता है।
  • प्रसवपूर्व एवं महिलाओं में आई कमजोरी को दूर करने के लिए दूध में पका कर दिया यह जाता है।
  • मखाना में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, कैल्सियम, फास्फोरस के अलावा लौह, अम्ल तथा विटामिन बी भी पाया जाता है।
  • तीनों मूसलियों के साथ फूल मखाना, ताल मखाना, सालमपंझा तथा कुछ अन्य वनस्पतियों को मिलाकर तैयार की गई औषधि जच्चा के लिए लाभकारी होती है।आयुर्वेदिक गुणों के आधार पर सफेद मूसली व शतावर को ठंडा, जबकि काली मूसली को गर्म माना जाता है। ठंडी प्रकृति की होने की वजह से सफेद मूसली का प्रयोग अकेले (जैसा पश्चिम में किया जाता है) करने की सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि इससे पेशाब ज्यादा आती है और शरीर में पित्त ऊर्जा की कमी हो जाती है।
  • दस्त लगने की समस्या उत्पन हो जाती है तो ताल मखाने का चुरा १ चम्मच दही के साथ खाए।
  • दरभंगा स्थित राष्ट्रीय मखाना शोध संस्थान के अनुसार भारत में लगभग 13,000 हैक्टर नमभूमि में मखानों की खेती होती है। यहां लगभग नब्बे हजार टन बीज पैदा होता है। देश का 80 प्रतिशत मखाना बिहार की नमभूमि से आता है। इसके अलावा इसकी छिटपुट खेती अलवर, पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, मणीपुर और मध्यप्रदेश में भी की जाती है। परन्तु देश में तेजी से खत्म हो रही नमभूमि ने इसकी खेती और भविष्य में उपलब्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक मखाना खाते रहना है तो देश की नमभूमियों को भी बचाना होगा। नमभूमियों को प्रकृति के गुर्दे भी कहते हैं और पता चलता है कि यहां उगा मखाना हमारी किडनियों की भी रक्षा करता है। तो बचाइए इन गुर्दो को।

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