दिल से पूरा पढ़े आँखें नम हो जाएँगी।।
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कर्नल की आवाज़ गूंजी और सभी जवान अनुषाशन के साथ खड़े होते ही एक साथ जवाब दिए जी साब ।।
ये 15 लोगो की टुकड़ी के इंचार्ज दलजीत सिंह जी है।। जो भारतीय जवान ही नहीं पाकिस्तान बटालियन भी जानती थी की दलजीत सिंह किस आग का बना है ।।
तभी कर्नल फिर गरजा- मेजर दलजीत आप अपनी टुकड़ी लेके पूरब की तरफ से जायेंगे।
मेजर - जी साब
कर्नल - जाओ मोर्चा संभालो जाके वीर जवानों
जय हिन्द
सभी एक साथ बोले जय हिन्द
मेजर अपनी टुकड़ी के साथ आगे आगे चल रहा था।।
तभी उस 15 जवानों की टोली में एक गबरू सा खूबसूरत जवान दौड़ के मेजर के पास आया।। साब जी क्या दुश्मनो ने हमला कर दिया क्या।।
मेजर - हा ऐसा ही कुछ है हलचल का शक है।। क्यों तुझे डर लग रहा क्या।।
जवान - साब जी माँ से वादा किया था पीठ नहीं दिखाऊंगा तिरंगे में लिपट के घर जाना चाहता हूँ।।
मेजर - क्या नाम है तेरा
जवान - साब जी अमर सिंह
उम्र 26 साल
मेजर ने मुस्कान के साथ सबको दौड़ने के लिए कहा और जोर से किसी जवान ने नारा लगाया जय भवानी।।
सभी एक साथ चिल्लाये और आगे बढ़ चले ।।
तभी कही से एक गोली मेजर को कंधे में लगी और दूसरी बाजू में तीसरी पैर में और वो दूर जा गिरे ।।
और फिर एक धमाका और कुछ पल के लिए मेजर की आँखों में अँधेरा छा गया और टुकड़ी के जवान कुछ शहीद हो गए कुछ तड़पते हुए जमीन पर पड़े तड़पते रहे अमर सिंह चीखा सालो माँ का दूध नहीं पिते हो छक्कों छुपके वार करते हो और ताबड़ तोड़ गोलियों की बौछार कर दी एक गोली सीने को चीरते हुए अमर सिंह को लहूलुहान कर गई पैर डगमगा गए पर संभला और फिर उसी दिशा में गोली और बम बारी कर दी कुछ ही देर में हलचल बंद हो गई और अमर सिंह बन्दूक जमीन पे रख के बन्दूक के ऊपर लेट गया मेजर की आँखें खुली भागते हुए अपनी टुकड़ी के पास आये और नजारा देख के होश खो बैठे और उन्होंने भी गोलिया चला दी और अमर सिंह के पास आके बैठ गए ।। अमर उठ कुछ नहीं होगा तुझे
अमर - साब जी कोई बचा तो नहीं एक मुस्कान के साथ उसने सवाल किया
मेजर - नहीं अमर
अमर - साब जी माँ का सपना पूरा कर दिया बोल देना आप की बेटे ने अकेले मार गिराया
और जय हिन्द बोल के माटी चूम ली और आंखे बंद कर ली।।
कर्नल - के पास मेजर आया और बोला साब जी चारो दिशाओ का इंचार्ज बनाओ मुझे
कर्नल - मेजर पहले अस्पताल जाओ तुम तुम्हे गोलिया लगी है
मेजर - साब जी जब तक अपने जवानो का बदला ना ले लू तब तक गोली नहीं निकलेगी जान दे दूंगा पर अमर का क़र्ज़ चुकाए बिना नहीं रहूँगा।।
कर्नल इस गुर्राई अवाज़ के सामने सहम गया और चारो दिशाओ का इंचार्ज बनाने में देर नहीं की।।
ऐसे थे दलजीत सिंह और दलजीत सिंह की टुकड़ी के जवान ।।
कहानी में कुछ गलत लिख दिया हो तो माफ़ करना।।
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कर्नल की आवाज़ गूंजी और सभी जवान अनुषाशन के साथ खड़े होते ही एक साथ जवाब दिए जी साब ।।
ये 15 लोगो की टुकड़ी के इंचार्ज दलजीत सिंह जी है।। जो भारतीय जवान ही नहीं पाकिस्तान बटालियन भी जानती थी की दलजीत सिंह किस आग का बना है ।।
तभी कर्नल फिर गरजा- मेजर दलजीत आप अपनी टुकड़ी लेके पूरब की तरफ से जायेंगे।
मेजर - जी साब
कर्नल - जाओ मोर्चा संभालो जाके वीर जवानों
जय हिन्द
सभी एक साथ बोले जय हिन्द
मेजर अपनी टुकड़ी के साथ आगे आगे चल रहा था।।
तभी उस 15 जवानों की टोली में एक गबरू सा खूबसूरत जवान दौड़ के मेजर के पास आया।। साब जी क्या दुश्मनो ने हमला कर दिया क्या।।
मेजर - हा ऐसा ही कुछ है हलचल का शक है।। क्यों तुझे डर लग रहा क्या।।
जवान - साब जी माँ से वादा किया था पीठ नहीं दिखाऊंगा तिरंगे में लिपट के घर जाना चाहता हूँ।।
मेजर - क्या नाम है तेरा
जवान - साब जी अमर सिंह
उम्र 26 साल
मेजर ने मुस्कान के साथ सबको दौड़ने के लिए कहा और जोर से किसी जवान ने नारा लगाया जय भवानी।।
सभी एक साथ चिल्लाये और आगे बढ़ चले ।।
तभी कही से एक गोली मेजर को कंधे में लगी और दूसरी बाजू में तीसरी पैर में और वो दूर जा गिरे ।।
और फिर एक धमाका और कुछ पल के लिए मेजर की आँखों में अँधेरा छा गया और टुकड़ी के जवान कुछ शहीद हो गए कुछ तड़पते हुए जमीन पर पड़े तड़पते रहे अमर सिंह चीखा सालो माँ का दूध नहीं पिते हो छक्कों छुपके वार करते हो और ताबड़ तोड़ गोलियों की बौछार कर दी एक गोली सीने को चीरते हुए अमर सिंह को लहूलुहान कर गई पैर डगमगा गए पर संभला और फिर उसी दिशा में गोली और बम बारी कर दी कुछ ही देर में हलचल बंद हो गई और अमर सिंह बन्दूक जमीन पे रख के बन्दूक के ऊपर लेट गया मेजर की आँखें खुली भागते हुए अपनी टुकड़ी के पास आये और नजारा देख के होश खो बैठे और उन्होंने भी गोलिया चला दी और अमर सिंह के पास आके बैठ गए ।। अमर उठ कुछ नहीं होगा तुझे
अमर - साब जी कोई बचा तो नहीं एक मुस्कान के साथ उसने सवाल किया
मेजर - नहीं अमर
अमर - साब जी माँ का सपना पूरा कर दिया बोल देना आप की बेटे ने अकेले मार गिराया
और जय हिन्द बोल के माटी चूम ली और आंखे बंद कर ली।।
कर्नल - के पास मेजर आया और बोला साब जी चारो दिशाओ का इंचार्ज बनाओ मुझे
कर्नल - मेजर पहले अस्पताल जाओ तुम तुम्हे गोलिया लगी है
मेजर - साब जी जब तक अपने जवानो का बदला ना ले लू तब तक गोली नहीं निकलेगी जान दे दूंगा पर अमर का क़र्ज़ चुकाए बिना नहीं रहूँगा।।
कर्नल इस गुर्राई अवाज़ के सामने सहम गया और चारो दिशाओ का इंचार्ज बनाने में देर नहीं की।।
ऐसे थे दलजीत सिंह और दलजीत सिंह की टुकड़ी के जवान ।।
कहानी में कुछ गलत लिख दिया हो तो माफ़ करना।।
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