Exclusively for Eid:
एक साहब ने ईद-उल-अज़हा के 3 महीने बाद ख़्वाब में देखा कि जन्नत में सब बकरे खेल रहे हैं मगर
उनका बकरा एक तरफ बैठा हुआ है,
उन साहब ने अपने बकरे से पूछा:
ओए!
तू क्यूँ नहीं उठ के खेलता ?
बकरा बोला:
मेरा एक पाया अभी भी आपके फ़्रीज़र में रखा हुआ है,
और मैं तीन टाँगो से नहीं खेल सकता..
Moral of the story:
दिल बड़ा रखो और
निय्यत साफ़ रखो..
गरीबों को खिलाओ,
फ़्रीज़र में न रखो..
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