Saturday, 3 October 2015

Boundation of Thinking : Inspirational Story in Hindi

baby elephant doing shit
    एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया। उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है। उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे। 
    उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस
प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं?
तब महावत ने कहा- ” इन हाथियों को छोटेपन से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती कि इस बंधन को तोड़ सकें। बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें
धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते, और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”
    आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो
इस बात में यकीन करते हैं। इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं
    किसी ने इसी सम्बन्ध में क्या खूब कहा है कि- " मन के हारे हार है, मन के जीते जीत; करता चल पुरुषार्थ तू, काहे है भयभीत;" इस लिए इन्सान को कभी भी हिम्मत नहीं हरनी चाहिए और सच्ची लगन से अपनी मंजिल को पाने के लिए कोशिश करते रहना चाहिए।

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