_MUST READ_
इसे शांत चित्त से पढिए।
हर लड़की के लिए प्रेरक कहानी, और लड़कों के लिए अनुकरणीय शिक्षा....
कोई भी लड़की की सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है।
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अशोक भाई ने घर में पैर रखा....‘अरी सुनती हो!'
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अशोक भाई ने घर में पैर रखा....‘अरी सुनती हो!'
आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ मेँ पानी का गिलास लेकर बाहर आयी और बोली-
"अपनी beti का रिश्ता आया है,
अच्छा भला इज्जतदार सुखी परिवार है,
लड़के का नाम युवराज है।
बैँक मे काम करता है।
बस beti हाँ कह दे तो सगाई कर देते हैं"
लड़के का नाम युवराज है।
बैँक मे काम करता है।
बस beti हाँ कह दे तो सगाई कर देते हैं"
Beti उनकी एकमात्र लड़की थी..
घर में हमेशा आनंद का वातावरण रहता था।
कभी कभार अशोक भाई सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और beti के साथ कहा सुनी हो जाती लेकिन....
अशोक भाई मजाक में निकाल देते।
Beti खूब समझदार और संस्कारी थी।
S.S.C. पास करके टयुशन, सिलाई काम करके पिता की मदद करने की कोशिश करती।
अब तो beti ग्रज्येएट हो गई थी और नोकरी भी करती थी
लेकिन अशोक भाई उसकी पगार में से एक रुपया भी नही लेते थे....
लेकिन अशोक भाई उसकी पगार में से एक रुपया भी नही लेते थे....
और रोज कहते ‘बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य में तेरे काम आयेगी।'
दोनों घरो की सहमति से beti और
युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया।
युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया।
अब शादी के 15 दिन और बाकी थे.
अशोक भाई ने beti को पास मेँ बिठाया और कहा-
अशोक भाई ने beti को पास मेँ बिठाया और कहा-
"बेटा तेरे ससुर से मेरी बात हुई....
उन्होने कहा दहेज में कुछ नही लेंगे, ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज।
उन्होने कहा दहेज में कुछ नही लेंगे, ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज।
तो बेटा तेरे शादी के लिए मैंने कुछ रुपये जमा किए हैं।
'यह दो लाख रुपये में तुझे देता हूँ। तेरे भविष्य में काम आयेगे, तू तेरे खाते मे जमा करवा देना'
"OK PAPA" - beti ने छोटा सा जवाब देकर अपने रुम में चली गई।
समय को जाते कहाँ देर लगती है?
शुभ दिन बारात आंगन में आयी,
शुभ दिन बारात आंगन में आयी,
पंडितजी ने चंवरी में विवाह विधि शुरु की।
फेरे फिरने का समय आया....
फेरे फिरने का समय आया....
कोयल जैसे कुहुकी हो ऐसे beti दो शब्दो में बोली
"रुको पडिण्त जी ।
मुझे आप सब की उपस्तिथि में मेरे पापा के साथ बात करनी है,"
मुझे आप सब की उपस्तिथि में मेरे पापा के साथ बात करनी है,"
“पापा आप ने मुझे लाड़ प्यार से बड़ा किया, पढाया, लिखाया खूब प्रेम दिया इसका कर्ज तो चुका सकती नही....
लेकिन युवराज और मेरे ससुर जी की सहमति से आपने दिया दो लाख रुपये का चेक मैं वापस देती हूँ।
इन रुपयों से मेरी शादी के लिए लिये हुए उधार वापस दे देना।
और दूसरा चेक तीन लाख जो मेने अपनी पगार में से बचत की है....
और दूसरा चेक तीन लाख जो मेने अपनी पगार में से बचत की है....
जब आप रिटायर होंगे तब आपके काम आएंगे,
मैं नहीं चाहती कि आप को बुढापे में आपको किसी के आगे हाथ फैलाना पड़े !
मैं नहीं चाहती कि आप को बुढापे में आपको किसी के आगे हाथ फैलाना पड़े !
अगर मैं आपका लड़का होता तब भी इतना तो करता ना?"
वहाँ पर सभी की नजर beti पर थी....
“पापा अब मैं आपसे जो दहेज में मांगू वो दोगे?"
अशोक भाई भारी आवाज में- "हां बेटा", इतना ही बोल सके।
"तो पापा मुझे वचन दो"
आज के बाद सिगरेट को हाथ नही लगाओगे....
आज के बाद सिगरेट को हाथ नही लगाओगे....
तबांकु, पान-मसाले का व्यसन आज से छोड़ दोगे।
सब की मोजुदगी में दहेज में बस इतना ही मांगती हूँ।"
लड़की का बाप मना कैसे करता?
शादी मे लड़की की विदाई समय कन्या पक्ष को रोते देखा होगा लेकिन
आज तो बारातियो कि आँखो में आँसुओ की धारा निकल चुकी थी।
मैं दूर se us beti को लक्ष्मी रुप मे देख रहा था....
रुपये का लिफाफा मैं अपनी जेब से नही निकाल पा रहा था....
साक्षात लक्ष्मी को मैं कैसे लक्ष्मी दूं?
लेकिन एक सवाल मेरे मन में जरुर उठा,
“भ्रूण हत्या करने वाले लोगों को इस जैसी लक्ष्मी मिलेगी क्या"?
कृपया रोईए नही, आंसू पोछिए और प्रेरणा लीजिये।
Aur whatsapp per zabardast share kijiye
या मत कीजये ये आपकी मर्जी
Please save girls....
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या मत कीजये ये आपकी मर्जी
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आपको किसी की कसम नहीं है
अगर ये मैसेज फॉरवर्ड नही किआ तो कोई बात नही....
कोई और फॉरवर्ड कर देगा तो फिर आपको वापिस मिलेगा
लेकिन पूरा पढ़ने के लिए आपका हार्दिक आभारी हूँ अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो बेटी बचाओ बेटी पढाओ।
chirag
chirag
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